जगदलपुर / 9वीं क्षेत्रीय रेल उपयोगकर्ता परामर्शदात्री समिति की बैठक की चर्चा इन दिनों राजनीतिक गलियारों में हो रही हेै, लेकिन इस बैठक में रेल विभाग ने सिर्फ आश्वासन देकर ही मामले को रफा कर दिया है, क्योकि रेल सुविधााओं की जो भी मांगें इसमें की गयी है उसे पूरा करना रेल विभाग के लिए मुश्किल है। दुर्ग जगदलपुर इंटरसिटी एक्सप्रेस जब बंद की गई थी उस वक्त बस्तर में इस ट्रेन को शुरू करने के लिए कोई भी प्रयास किसी के द्वारा नही किया गया लेकिन कई सालों के बाद इस ट्रेन की चिंता लोगों को जरूर होने लगी है, सवाल यह है कि मोदी सरकार घाटे में चल रहे सार्वजनिक उपक्रमों को देश हित में बेच रहे है तो जगदलपुर दुर्ग एक्सप्रेस जिसके बारे में कहा जाता है इसको सवारी नही मिलती थी तो हालातों में बंद ट्रेन कैसे चालू हो पायेगी यह बड़ा सवाल है। ऐसे में इस ट्रेन का नाम बदलने व टाईमिंग बदलने की मांग कही से भी जायज नही लगती है।ट्रेन के साथ इंस्टाग्राम रील बनाना युवक को पड़ा भारी, पहुंच गए अस्पताल

उसी तरह ही सम्लेश्वरी एक्सप्रेस के टाईम में दो घंटे के बदलाव की बात कही गई है, यह ट्रेन बस्तर से कुछ ही सालों से चल रही है लेकिन कोरापुट, रायगढ़ा, टीटलागढ़ और सम्बलपुर से बहुत पहले से चल रही है इसलिए इस ट्रेन का टाईम इन जगहों पर पांच से दस मिनट ही बदल सकता है दो घंटों का बदलाव संभव ही नही है। नाईट एक्सप्रेस के टाईमिंग बदलने की मांग रेल विभाग ने इसलिए खारिज कर दी कि इससे विशाखापट्नम से आगे सफल करने वाले लोगों को ट्रेन नही मिल पायेगी।

जगदलपुर के प्लेटफार्म को विस्तार की मांग पर लोगों का कहना है कि वर्तमान प्लेटफार्म लगभग 16 डब्बे का है, बस्तर से कोई भी ट्रेन इतनी लम्बी नही है, उसी के साथ ही रेल डब्बे की जानकारी देने वाले सिंगल की भी आम जनता को कोई मुश्किल नही है क्योकि अधिकांश ट्रेन जगदलपुर से ही चलते है इसलिए यात्री को ट्रेन पकडऩे में किसी तरह की समस्या नही होती है, यह सुविधा उन स्टेशनों में जरूरी है जहां पर ट्रेनों का कुछ मिनट का स्टॉपेज रहता है, ताकि यात्री अपने डब्बे के पास खड़े हो सके।

जगदलपुर रावघाट रेललाईन निर्माण की बस्तर को बहुत जरूरत है, लेकिन राजनीतिक दलों व आम जनता को इस बात का एहसास है कि भिलाई प्लांट के लिए कच्चा लोहा के लिए ही दल्ली राजहरा रावघाट रेललाईन का निर्माण पहले चरण में किया जा रहा है, ऐसे में इस रेललाईन का विस्तार जगदलपुर तक किये जाने के लिए एक बड़ी लडाई की जरूरत है, क्योकि यह मांग कम से कम ज्ञापन से तो कभी भी पूरी नही होगी, क्योकि अभी तक इस लाईन के निर्माण के लिए सिर्फ ज्ञापनों का ही सहारा लिया गया है। पहली बार बस्तर में इस रेलवे लाईन के लिए पदयात्रा का आयोजन किया गया्र, इस पदयात्रा में इस रेल लाईन की मांग करने वाले कितने नेता शामिल हुए यह एक बड़ा सवाल है? जो राजनीतिक गलियारों के साथ ही आम जनता के बीच भी चर्चा का विषय बना हुआ है। वर्तमान हालातों में बस्तरवासियों को जगदलपुर किरंदुल पैंसेजर ट्रेन की सुबह के वक्त बहुत जरूरत है क्योकि डीजल के दाम बढऩे से बस किराया भी लगातार बढ़ रहा है, अगर यह सुविधा मिल जाये तो आम जनता को लाभ मिलेगा ही वही दैनिक उपयोग के अन्य सामानों के परिवहन में भी आसानी होगी। लेकिन लोकल ट्रेन की मांग नेताओं व आंदोलनकारियों के द्वारा अभी तक क्यो नही की गई है? वही बस्तर में रेल सुविधाओं के विस्तार के लिए कोरापुट से चलने वाली ट्रेन को जगदलपुर या किरंदुल से विस्तार का प्रयास करना चाहिए, क्योंकि रेल विभाग को इसके लिए बहाना खोजने में समस्या आयेगी। वर्तमान में बस्तर से चलने वाली अधिकांश ट्रेन का कोरापुट से जगदलपुर तक बढ़ाया गया है, जगदलपुर दुर्ग ट्रेन बस्तर को ध्यान में रख कर शुरू की गई थी, वह बंद हो गई है।