India China News : चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) की रखवाली अरुणाचल प्रदेश (Arunachal Pradesh) में इन्फैंट्री बटालियनों
(infantry battalions) के हाथों में है। अब इनकी लड़ाकू धार को और तेज करने की तैयारी है। इसके लिए इन्हें नए हथियारों (weapons) से लैस किया जाएगा जिसमें लाइट मशीन गन, असॉल्ट राइफल, रॉकेट लॉन्चर, मानव रहित हवाई वाहन, ऑल-टेरियन वेहिकल्स और हाई-टेक सर्विलांस गियर शामिल हैं। सेना के आधुनिकीकरण से परिचित अधिकारी ने यह जानकारी दी है।
अधिकारी ने बताया, ‘मल्टी-मिशन चिनूक हेलीकॉप्टरों को संचालित करने में सक्षम हेलीपैड भी दूरदराज के इलाकों में सैनिकों और हथियारों की तेजी से तैनाती के लिए शामिल होंगे। यहां तक कि सीमा के साथ लगे नए उपग्रह टर्मिनल संचार क्षमता को और भी ज्यादा मजबूत करेंगे।’
पूर्वी अरुणाचल प्रदेश में तैनात एक पर्वतीय ब्रिगेड के कमांडर ब्रिगेडियर ठाकुर मयंक सिन्हा ने कहा, ‘इन्फैंट्री बटालियन लड़ाई के समय सबसे आगे रही हैं। उनकी ऑपरेशनल क्षमता बढ़ाने के लिए उन्हें नए हथियारों से लैस किया जा रहा है। यह अहम बदलाव बेहद खास समय पर हो रहा है।’
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भारतीय सेना को मिलेंगे ये नए हथियार
नए इंडक्शन में इजरायली मूल के नेगेव लाइट मशीन गन, यूएस से सिग सॉयर असॉल्ट राइफल, स्वीडिश कार्ल गुस्ताव एमके- III रॉकेट लॉन्चर, स्वदेशी स्विफ्ट मानव रहित हवाई वाहन, यूएस से सभी इलाके के वाहन और टारगेट की बेहतर पहचान के लिए डिजिटल स्पॉटिंग स्कोप शामिल हैं। सिन्हा ने कहा कि इसका मकसद क्षमता में विकास, बुनियादी ढांचे का निर्माण और ऑपरेशनल रोल को लेकर ट्रेनिंग देना है।
‘हेलीपैड का निर्माण कार्य जोरों पर’
कमांडर ब्रिगेडियर ठाकुर मयंक सिन्हा ने कहा, चिनूक के संचालन के लिए हेलीपैड का निर्माण कार्य जोरों पर है जो सेना के नवीनतम अमेरिकी मूल की तोपों को आगे के ठिकानों तक ले जा सकता है। M777 अल्ट्रा-लाइट होवित्जर चीनी सेना का मुकाबला करने के लिए अरुणाचल प्रदेश में LAC पर तैनात सेना की खातिर बेहर अहम है। इसमें बंदूक की सामरिक गतिशीलता के कारण सेना को दूरदराज के इलाकों में गोलाबारी करने के लिए कई विकल्प मिलते हैं।
‘गोगरा-हॉटस्प्रिंग्स’ इलाके से पीछे हट रही सेनाएं
यह खबर ऐसे समय सामने आई है जब भारत और चीन की सेना पूर्वी लद्दाख में ‘गोगरा-हॉटस्प्रिंग्स’ इलाके से पीछे हट रही है। विदेश मंत्रालय ने बताया कि यह प्रक्रिया 12 सितंबर तक पूरी हो जाएगी। इस स्थान पर दोनों सेनाओं के बीच पिछले दो साल से अधिक समय से गतिरोध बना हुआ है। उज्बेकिस्तान में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के वार्षिक शिखर सम्मेलन से लगभग एक सप्ताह पहले इलाके से पीछे हटने की घोषणा की गई। इस सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग के भाग लेने की उम्मीद है।