महाराष्ट्र में भाजपा सरकार बनने के बाद वेदांता समूह और फॉक्सकॉन के डिस्प्ले फैब्रिकेशन और सेमीकंडक्टर यूनिट का बगैर किसी विवाद के महाराष्ट्र से गुजरात स्थानांतरण हो जाना राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गया है कि शिवसेना से अलग हुआ गुट महाराष्ट्र हितों की लड़ाई लडऩे का दावा कर रहा था वह भाजपा हितों के आगे पूरी तरह से नतमस्तक हो गया है। जिसके वजह से इस स्थानांतरण का विरोध तक करने की हिम्मत नही जूटा पा रहा है।
भाजपा की कठपुतली से ज्यादा कुछ नही है शिवसेना के बागी नेता
महाराष्ट्र में सरकार बदलते ही राज्य में 1. 5 लाख करोड़ रूपये की परियोजना का महाराष्ट्र की जगह गुजरात में लगाये जाने से एकनाथ शिंदे सरकार विपक्ष के निशाने पर है, क्योकि इसे महाराष्ट्र के बड़े नुक्सान के तौर पर देखा जा रहा है। जिसके चलते मुख्यमंत्री शिंदे ने रस्म अदायगी के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस प्रोजेक्ट को लेकर फोन पर बातचीत जरूर की है, लेकिन एक बार जो कमिटमेंट मोदी सरकार कर लेती है, तो उसके बाद वह किसी की नही सुनती है, यह बात जगजाहिर है, इसलिए गुजरात से इस प्रोजेक्ट की वापसी महाराष्ट्र संभव नही है। जिसके चलते ही मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने इस स्थानांतरण के लिए पूर्व सरकार को जिम्मेदार बताते हुए कहा कि ऐसी परियोजनाएं एक या दो महीने में हाथ नही आती है, पिछली एमवीए सरकार उनकी मदद नही करेगी। उन्हें इस बात की जानकारी नही थी कि महाराष्ट्र में सरकार बदल जाएगी। गुजरात में यूनिट लगाने का फैसला वो पहले ही कर चुके थे, इसलिए उन्होंने गुजरात के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किए। गौरतलब है कि सात साल पहले देवेंद्र फडणवीस की नेतृत्व वाली भाजपा शिवसेना सरकार ने फॉक्सकॉन द्वारा राज्य में निवेश करने की घोषणा करने के साथ ही 8 अगस्त 2015 को पुणे के पास तालेगांव में 5 अरब डॉलर की सेमीकंडक्टर सुविधा की योजना के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए थे और सात साल बाद शिवसेना के बागी और भाजपा सरकार में यह प्रोजेक्ट महाराष्ट्र से गुजरात दो महीने में स्थानांतरित हो गया है। क्योकि शिवसेना के बागी नेता भाजपा के हाथों की कठपुतली से ज्यादा कुछ नही है जो महाराष्ट्र को निवेश को गुजरात स्थानांतरण होने का विरोध नही कर पा रहे है।