आम तौर पर यही माना जाता है कि किडनी फेलियर के जिस मरीज का डायलिसिस शुरू हो गया, उसकी उलटी गिनती शुरू हो चुकी है। पर इस धारणा को बदल चुकी हैं हाइटेक सुपरस्पेशालिटी हॉस्पिटल की नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ सुमन राव। उनके पास ऐसे भी मरीज हैं जो पिछले 12 साल से डायलिसिस पर हैं और अपनी सामान्य जिन्दगी जी रहे हैं।
हाइटेक के डायलिसिस यूनिट की चर्चा करते हुए डॉ सुमन राव ने बताया कि यहां का इंफ्रास्ट्रक्चर सबसे अच्छा है। यहां स्टेट ऑफ द आर्ट डियलिसिस की दस मशीनें लगी हुई हैं। मरीज की सुरक्षा हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है, इसलिए नतीजे भी अच्छे आ रहे हैं। उनके पास तकनीशियनों की जो टीम है उनमें से सभी के पास 10 साल से ज्यादा का अनुभव है।
अपने 20 साल से भी लंबे करियर में डॉ सुमन राव सवा लाख से ज्यादा मरीजों की डायलिसिस अपनी निगरानी में करवा चुकी हैं। अधिकांश मरीजों ने 10 साल या उससे भी लंबी जिन्दगी सहजता के साथ जी है। हाइटेक के डायलिसिस विभाग में 24×7 सेवाएं उपलब्ध हैं। वे स्वयं लगातार राउंड लेती रहती हैं।
उन्होंने बताया कि अनियंत्रित उच्च रक्तचाप, अनियंत्रित मधुमेह और लाइफ स्टाइल चेंजेस के कारण किडनी के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। अपनी मर्जी से कुछ भी दवाई खा लेना, विशेषकर दर्द निवारक औषधियों का सेवन करना इस समस्या को और बढ़ा रही है। फिलहाल उनके यहां जो मरीज हैं उनमें सात साल के बालक से लेकर 90 साल तक के बुजुर्ग शामिल हैं।
डॉ सुमन राव ने बताया कि समय पर चिकित्सकीय हस्तक्षेप कर किडनी को बचाया जा सकता है। किडनी जब पूरी तरह काम करना बंद कर देती हैं तो डायलिसिस या किडनी प्रत्यारोपण ही इसका अंतिम हल होता है। यदि डायलिसिस किसी योग्य विशेषज्ञ की देखरेख में हो तो मरीज 10-12 साल या इससे भी लंबी जिन्दगी जी सकते हैं।