पनका जाति की कन्या कांटे के झूले में बैठती है
जगदलपुर/ देवी काछिन की अनुमति की साथ ही 25 सितंबर को होगी बस्तर के एतिहासिक दशयात्रा की शुरूआत । यह विधान लाल बाग के भंगा राम चौक पर स्थित काछन गादी यानि काछिन देवी की निवास स्थान से शुरू होगी।
इस विधान में पनका जाति की कन्या पर देवी आएगी और राजपरिवार के सदस्यों की मौजूदगी में दशहरा शुरूआत करने की अनुमति देगी। प्रशासन ने इस अवसर की व्यापक तैयारियां की है । इसमें बड़ी संख्या में लोग जमा होेते है। । यह आयोजन जनप्रतिनिधियों , प्रशसनिक अधिकारियों, दशहरा समिति के सदस्यों और लोगों की बड़ी भीड़ के बीच संपन्न होगी।
कब हुई थी इस रस्म की शुरूआत?
1721 से 1725 के बीच महाराजा दलपतदेव के समय काछिन गादी की शुरूआत मानी जाती है। बस्तर दशहरे की शुरूआता 1408 ई में महाराजा पुरूषोत्तम देव के समय से शुरू हुई थी। इस रस्म में पनका जाति की कन्या कांटे के झूले में बैठती है, परम्परानुसार कन्या में काछन देवी सवार होती है और वह दशहरे को शुरू करने की अनुमति देती है / राज परिवार के सदस्य यह अनुमति प्राप्त करते है /