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कोंडागांवछत्तीसगढ़

पहाड़ी और चट्टानों पर आज भी मौजूद है माता के पदचिन्ह, बस्तर की राजधानी, जहां हुआ था महिषासुर का वध…..

Mahak Qureshi
Last updated: 2022/09/26 at 4:40 PM
Mahak Qureshi
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3 Min Read
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कोंडागांव : जिला मुख्यालय से 50 किलोमीटर की दूरी पर ग्राम बड़े डोंगर की पहाड़ी पर मां दंतेश्वरी विराजमान हैं. यहां की परंपरा बस्तर दशहरा से मिलती जुलती है.

Contents
यहीं हुआ महिषासुर का वधऐसे पहुंचे मंदिर

बड़े डोंगर महाराजा पुरूषोत्तम देव के समय में बस्तर की राजधानी बनी, लेकिन इसका इतिहास इससे भी प्राचीन है. लोकमान्यताओं के अनुसार यह देवलोक है, जहां महिषासुर का वध हुआ था.

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बस्तर की आराध्य देवी मां दंतेश्वरी का निवास स्थान प्रमुख रूप से दंतेवाड़ा स्थित मंदिर में है. पहले बस्तर की राजधानी बड़े डोंगर में माई जी का प्रमुख पर्व दशहरे का संचालन इसी मंदिर से होता था.

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चारों ओर पहाड़ियों और सुरम्य जंगलों के बीच स्थित बड़े डोंगर के हर पहाड़ पर देवी-देवताओं का वास है. आदिवासियों की मान्यता है कि 33 कोटि देवी-देवता यहां निवास करते हैं. मान्यता है

कि सतयुग में महिषासुर राक्षस ने इस देवलोक पर हमला कर त्राहि त्राहि मचा दी थी. तब देवताओं के आह्वान पर माता पार्वती देवी दुर्गा के रूप में प्रकट हुईं

और दोनों के बीच संग्राम बड़े डोंगर की पहाड़ी पर हुआ. इस संग्राम के निशान के रुप में शेर का पंजा, भैंसा और माता के पदचिन्ह आज भी पहाड़ी की चट्टानों पर मौजूद हैं. जहां पूजा-अर्चना होती है.

यहीं हुआ महिषासुर का वध

बड़े डोंगर गांव में स्थित पहाड़ के ऊपर चट्टानों में ऐसे निशान उभरे हैं जो हुबहू शेर के पंजे, भैंसे का सिंग और इंसानी पैर की तरह है. लोकमान्यता है कि ये निशान ही इस किवदंती का आधार हैं

कि इसी पहाड़ में मां दुर्ग ने महिषासुर का वध किया था. अपने पूर्वजों से सुनी कथाओं के आधार पर ग्रामीण बताते हैं कि महिषासुर पहाड़ों में रहने वाला दानव था और उसका बसेरा केशकाल से लेकर बड़े डोंगर तक फैली विशाल पर्वत श्रृंखलाओं में ही था.

जब महिषासुर के वध के लिए आदि शक्ति अवतरित हुईं और दोनों में युद्ध हुआ तो माता के तेज से आहत महिषासुर जान बचाने के लिए घने जंगलों और पहाड़ों की ओर भागने लगा.

पीछे चूंकि मां दुर्गा भी उसे दौड़ा रही थीं, लिहाजा भागते-भागते महिषासुर बड़े डोंगर के इसी पहाड़ के ऊपर पहुंचकर छिपने लगा. किवदंती के मुताबिक माता दुर्गा भी महिषासुर के पीछे पहाड़ में पहुंची और इसी पहाड़ के ऊपर दोनों के बीच निर्णायक युद्ध हुआ.

ऐसे पहुंचे मंदिर

जिला मुख्यालय कोंडागांव से जुगानी होते बड़े डोंगर पहुंच मार्ग है. वहीं राष्ट्रीय राजमार्ग 30 में स्थित फरसगांव से बड़े डोंगर पहुंच सकते हैं. बस, टैक्सी या ऑटो यहां हमेशा उपलब्ध रहती है.

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