मध्यप्रदेश( madhya pradesh)के सतना जिले में त्रिकूट पर्वत पर देवी शारदा का एक अति प्राचीन मंदिर हैं। इस मंदिर से चमत्कार के कई किस्से जुड़े हैं। देवी शारदा का यह मंदिर देश के 52 शक्तिपीठों में भी शामिल हैं। पौराणिक मान्यता है कि जब देवी सती को अपने कंधे पर लेकर भगवान शिव शोक में एक स्थान से दूसरे स्थान पर जा रहे थे, तब देवी सती का हर इसी पहाड़ी पर गिरा था।
कहा जाता है कि मंदिर में देवी शारदा की सबसे पहली पूजा पुजारी नहीं बल्कि उनके अनन्य भक्त “आल्हा- ऊदल” करते हैं। हर दिन रात में मंदिर की आखिरी आरती के बाद मंदिर के दरवाजे बंद कर दिए जाते हैं लेकिन हर सुबह जब मंदिर को खोला जाता है तो देवी मां की प्रतिमा पर ताजे फूल चढ़े हुए मिलते हैं। आज तक किसी ने भी मंदिर में किसी को आते-जाते नहीं देखा, सारे दरवाजे बंद होने के बाद भी नियमित तौर पर मंदिर में देवी मां की पूजा करने के प्रमाण मिलते हैं।
पर्वत पर स्थित करीब 600 फीट ऊंची पहाड़ी पर मंदिर
मध्यप्रदेश( madhya pradesh) के सतना जिले में मैहर तहसील के पास त्रिकूट पर्वत पर स्थित करीब 600 फीट ऊंची पहाड़ी पर मंदिर यह स्थित है। मंदिर की गिनती देश के 52 शक्तिपीठों में होती है। मंदिर तक पहुंचने के लिए 1063 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं। इस मंदिर की खोज आल्हा और ऊदल दोनों भाइयों ने मिलकर की थी। मंदिर के चारो और जंगल था। इसी जंगल ( forest)के बीच आल्हा ने 12 वर्षों तक माता शारदा की तपस्या की थी वह देवी को शारदा माई कहकर पुकारा करते थे मंदिर के नाम के पीछे कुछ लोगों का मानना है कि इसलिए उनका नाम माई की वजह से मैहर पड़ा है। मंदिर से जुड़ी एक मान्यता ये भी है कि यहां सर्वप्रथम आदिगुरू शंकराचार्य ने 9वीं-10वीं शताब्दी में पूजा-अर्चना की थी।