मोदी सरकार द्वारा पीएफआई के ठिकानों पर छापेमारी के बाद राजनीति गर्मा गई है, सवाल यह है क्या मोदी सरकार पीएफआई पर इस बार प्रतिबंध लगायेगी या फिर चुनावों के वक्त छापेमारी करके धुवी्रकरण की राजनीति को जमीन तैयार करने में उपयोग करती रहेगी? क्योकि पीएफआई पर छापेमारी का केरल में विरोध होने के साथ ही महाराष्ट्र में पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे भी लगाये गये है, लेकिन इसके बाद भी डबल इंजन वाली एकनाथ शिंदे की सरकार ने अपनी प्राथमिकी में देशद्रोह की धारा नही जोडऩे से सवाल गहराने लगा है?
देश में ताकतवर मोदी सरकार होने के बाद भी पीएफआई द्वारा देश विरोधी गतिविधियों में लिप्त होने के बाद भी प्रतिबंध क्यों नही लग सका यह ऐसा सवाल है जिसका जवाब मोदी सरकार ही दे सकती है?
मोदी सरकार ने 2017 में भी पीएफआई पर प्रतिबंध लगाने की कोशिश की थी, लेकिन मोदी सरकार के अंतर्गत आने वाले एंजेसियों में तालमेल नही होने के कारण प्रतिबंध नही लग सका और ना ही मोदी सरकार ने एंजेसियों में तालमेल बैठा करके प्रतिबंध लगाने की दिशा में कोई ठोस पहल ही की। गुजरात, हिमाचल प्रदेश, तेलंगाना विधानसभा चुनाव होने के पहले व बिहार में भाजपा सत्ता से बाहर होने के बारद मोदी सरकार ने देश भर में पीएफआई पर छापेमारी की कार्यवाही के बाद एक बार फिर देश विरोधी गतिविधियों के साथ ही विदेश फंडिग के आरोप लगे है, एनआईए का कहना है कि पीएफआई के निशाने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 12 जुलाई का हुई पटना रैली भी थी, एनआईए के अनुसार पीएफआई लीडर रैली के दौरान माहौल बिगाडऩा चाहते थेइसके लिए बकायदा बैनर-पोस्टर भी लगाये गये थे, लेकिन सवाल यह है कि पटना में आयोजित रैली के दौरान सुरक्षा एजेंसियों को पीएफआई के बैनर व पोस्टर क्यों नजर नही आये, इसक सवाल का जवाब एनआईए ने नही दिया है।। मोदी सरकार द्वारा पीएफआई के छापेामरी का विरोध भी होने के साथ ही महाराष्ट्र में पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाये जाने से महाराष्ट्रकी राजनीति भी गर्मा गई है लेकिन महाराष्ट्र सरकार के द्वारा देशद्रोह की धारा नही लगाई गई है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि पीएफआई पर जिस उद्देश्य को लेकर छापेमारी की गई थी, भारी विरोध के चलते उद्देश्य पूरा हेाता दिखाई दे रहा है। गोदी मीडिया विरोध करने वालों को देश विरोधी बताने में देरी नही करेगी, लेकिन यह सवाल गायब हो जायेगा कि मोदी सरकार के रहते पीएफआई कैसे देश विरोधी गतिविधियों व अवैध फंडिग प्राप्त करने में सफल रहा, इसमें उसकों कौन कौन मदद करता था, इस बार क्या एंजेसियों मिलकर पीएफआई पर प्रतिबंध लगाने की मांग करेगी और मोदी सरकार इस विवादित संगठन पर प्रतिबंध लगायेगा या अपनी राजनीति को चमकाने के लिए चुनाव के वक्त पीएफआई पर छापेमारी करके विरोध के स्वर आवाज देकर धुर्र्वीकरण की राजनीति करने में सफल होता रहेगा।