जगदलपुर :- बस्तर दशहरा का मुख्य आकर्षण दुमंजिला विशाकाय काष्ठ रथ की परिक्रमा मंगलवार की शाम से शुरू होगी। पहले 5 दिनों तक होने वाली रथ परिक्रमा को फूल रथ परिक्रमा पूजा विधान कहा जाता है,
जिसमें मां दंतेश्वरी के छत्र को आरूढ कर इसे सिरहासार भवन से गोलबाजार, गुरुगोविद सिंह चौक होते हुए मां दंतेश्वरी मंदिर पंहुचाया जायेगा,यह क्रम 5 दिनों तक अर्थात रविवार तक जारी रहेगा।
बस्तर दशहरा के दुमंजिला विशाकाय काष्ठ रथ को खींचने की जिम्मेदारी रियासत काल के दौर से जगदलपुर ब्लॉक के करीब 36 गांव के ग्रामीणों प्राप्त है जिनके द्वारा शताब्दियों से वे इसका निर्वहन करते चले आ रहे हैं।
उल्लेखनिय है कि बस्तर के ऐतिहासिक दशहरा पर्व को भव्य रूप प्रदान करने में बस्तर महाराजा प्रवीरचंद्र भंजदेव अपने जीवन के अंतिम क्षण तक संपन्न करवाते रहे।
उनके जीवन काल में राजमहल का सिंहद्वार हमेशा बस्तर के ग्रामीणों के लिए खुला रहा। देवी की रथ यात्रा तथा विधानों के अनुसार पर्व संपन्न करवाना उनके दृढ़ संकल्प एवं आदर्श के रूप में आज भी याद किया जाता है।
यही कारण है कि बस्तर दशहरा की चर्चा शुरू होने के साथ प्रतिवर्ष बस्तर की ग्रामीण जनता स्व.प्रवीरचंद्र भंजदेव को श्रद्घा सुमन अर्पित करने बस्तर के राजमहल पहुंचती है।