बीजापुर, 06 अक्टूबर। छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में छतीसगढ़ आर्म फोर्स के जवान ने बीती रात अपने सर्विस रायफल से गोली मार कर आत्महत्या कर ली।
बीजापुर पुलिस अधीक्षक आंजनेय वैष्णव ने बताया कि बीजापुर जिला मुख्यालय से सात किलोमीटर दूर ग्राम धरोना में यह घटना हुई । यहाँ स्थित पन्द्रहवीं बटालियन छत्तीसगढ़ आर्म्स फोर्स के कैंप में तैनात जवान सुनील कुमार ने बीती देर रात अपने सर्विस रायफल से गोली मारकर आत्महत्या कर ली। मृतक जवान मध्यप्रदेश के भिंड जिले का रहने वाला था। आत्महत्या का कारण अभी स्पष्ट नहीं हो पाया है। मामला बीजापुर थाने में दर्ज है । पुलिस इस मामले की जांच कर रही है।
इधर, बस्तर संभाग में पिछले आठ दिनों में अर्धसैनिक बलों के दो जवानों ने आत्महत्या कर ली। मामले की जांच की जा रही है। लगातार हो रहे जवानों की आत्महत्या से पुलिस के आला अधिकारी चिंतित है और इस पर निगरानी रखने के बावजूद ऐसी घटना हो रही है।
बस्तर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक पी. सुंदरराज ने बताया कि सुरक्षा बल के जवानों छुट्टी और बेहतर से बेहतर सुविधाएं सरकार उपलब्ध करा रही है । इससे आत्महत्या की घटनाएं काफी कम हुई है। फिर भी पारिवारिक जीवन में उलझनों के कारण ही जवानों के आत्म हत्या करते हैं। बस्तर संभाग में पिछले दो वर्षों से बीस से अधिक अर्धसैनिक के जवान विभिन्न कारणों से आत्महत्या कर चुके हैं।
पिछले दिनों लोकसभा में सरकार ने अर्धसैनिक बलों को पिछले सात सालों का आंकड़ा पेश किया जिनमें असम राइफल्स, सीमा सुरक्षा बल, केन्द्रीय सुरक्षा बल, औद्यागिक सुरक्षा बल, तिब्बत सीमा सुरक्षा बल, सषस़्त्र सीमा बल के कुल 9728 जवानों की मौत हुई है जिसमें से 823 जवानों ने आत्महत्या की है। 1764 जवानों की मौत दुर्घटना में हुई है सीआरपीएफ के 292 जवाना तथा बीएसएफ के 242 जवान आत्महत्या का शिकार हुए है। सीआरपीएफ में आत्महत्या के सर्वाधिक मामले वर्ष 2020 में सामने आए जबकि 54 जवानों ने विभिन्न कारणों से आत्महत्या करके अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली है। आंकड़े बताते हैं कि इन सात वर्षों में सीआरपीएफ के 3006 जवानों की विभिन्न कारणों से मौत हुई है, जिनमें से 638 जवान दुर्घटना का शिकार हुए है।
मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. रोहित तिवारी का कहना है कि अर्धसैनिक बलों में तैनात जवान अपना परिवार छोड़कर बटालियन में रहते हैं। नक्सल क्षेत्रो में तो उन जवानों को अंदरूनी इलाको में रहना पड़ता है , उन इलाकों में नक्सली थ्रेट और मनोरंजन, नेट, मोबाईल कनेक्टिविटी, के अभाव के कारण वे अवसाद से ग्रसित हो जाते है । कई बार बटालियन में ही अफसर या किसी सहयोगी से हुआ विवाद भी वे सहन नही कर पाते हैं। ऐसे में जवान के स्वभाव में चिड़चिड़ापन आ जाता है। वे एकाकी हो जाते है । ऐसे में यदि कोई पारिवारिक परेशानी हो तो कई बार जवान वह तनाव झेल नही पाता। इसी कारण जवान कई बार आत्मघाती कदम उठा लेते हैं। यही कारण है कि फोर्स में आत्महत्या की घटनाएं बढ़ी है।
निश्चित रूप से जवानों की आत्महत्या एक विचारणीय पहलू है।