भिलाई। सुन्दर दिखने की चाहत किसे नहीं होती. आधुनिक समाज में किशोर-किशोरियों से लेकर अधेड़ आयु तक के लोग इस दौड़ में शामिल हैं. इसमें बुराई भी कोई नहीं है बस कुछ बातों का ध्यान रखा जाना जरूरी है. त्वचा, विशेषकर चेहरा, गर्दन और बांह की त्वचा पर होने वाले परिवर्तन किसी रोग के प्राथमिक लक्षण भी हो सकते हैं. एक योग्य चिकित्सक ही इसकी पहचान कर उचित परामर्श दे सकता है. रोग को जड़ से खत्म करने का यह एक सुनहरा अवसर होता है.
यह कहना है हाइटेक सुपर स्पेशालिटी हॉस्पिटल की त्वचा रोग विशेषज्ञ डॉ यशा उपेन्द्र का. डर्मेटोलॉजी और कॉस्मेटोलॉजी में समान रूप से दखल रखने वाली डॉ यशा बताती हैं कि त्वचा की बदलती रंगत, रूखापन, चकत्ते, आंखों के नीचे की त्वचा, मुख के कोरों की त्वचा में होने वाले परिवर्तन व्यक्ति के आंतरिक स्वास्थ्य के बारे में काफी कुछ बता सकते हैं. ऐसे इन प्राथमिक सूचकों को मेकअप से छिपा लेना आगे चलकर गंभीर समस्या उत्पन्न कर सकता है.
उन्होंने बताया कि किडनी और लिवर की बीमारियों के लक्षण त्वचा पर प्रकट होते हैं. इसी तरह हारमोन संतुलन गड़बड़ाने, थायरॉयड की समस्या होने पर भी त्वचा इसका संकेत देती है. कुशल चिकित्सक इन लक्षणों को पहचानकर इनके होने अथवा नहीं होने की पुष्टि कर सकता है. रोग होने पर इस अवस्था में इसका सम्पूर्ण इलाज किया जाना संभव होता है.
पीलिंग पर पूछे गए एक सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति की त्वचा अलग-अलग होती है. इन्हें मोटे चौर पर पांच प्रकारों में बांटा जा सकता है. सामान्य, रूखी, तैलीय, मिश्रित और अति संवेदनशील. इसके आधार पर ही अलग-अलग फेशियल या पील तय किये जाते हैं. पील करने के बाद त्वचा कुछ नाजुक हो जाती है जिसे प्रदूषण और धूप से बचाना जरूरी होता है. आपका डाक्टर आपको सही सन स्क्रीन और माइस्चराइजर का सुझाव दे सकता है.
डॉ यशा ने बताया कि पीलिंग के बाद कम से कम पांच-सात दिन तक त्वचा को अच्छी देखभाल की जरूरत होती है. ऐसे में सूखा त्वचा को नोचने, बिना सनस्क्रीन पहने धूप में निकलने से बचना चाहिए. त्वचा को शुष्क हो जाने से बचाना चाहिए. किसी भी प्रकार के नशे से दूर रहना चाहिए तथा त्वचा की नमी को बनाए रखे की कोशिश करनी चाहिए.