जगदलपुर। बस्तर की आराध्य देवी मां दन्तेश्वरी के सम्मान में श्रद्धा पूर्वक लगातार 75 दिवस तक मनाई जाने वाली बस्तर दशहरा पर्व के सभी पूजा विधान कार्यक्रम में बस्तर संभाग की विभिन्न परघना के मांझी,
चालकी,नाईक, पाईक, मेंबर, मेंबरी आदि सेवाकारों द्वारा इस आयोजन के लिये अहम भूमिका निभाई जाती है। बस्तर पुलिस द्वारा दशहरा पर्व में शामिल होने के लिये जगदलपुर पधारे हुये समस्त मांझी, चालकी एवं अन्य सेवाकारों के सम्मान में गुरुवार को शहीद स्मृति वाटिका में कार्यक्रम आयोजित किया गया।
बस्तर आईजी सुरन्दरराज पी. ने बताया कि विगत 03 वर्षों से बस्तर दशहरा के दौरान आयोजित की जा रही बस्तर ता माटा कार्यक्रम के माध्यम से पुलिस एवं क्षेत्र वासियों के बीच संबंध मजबूत एवं मधुर हुये हैं।
बस्तर ता माटा स्थानीय आदिवासी बोली नामकरण किये गये। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य है कि बस्तर अंचल में परंपरागत रूप मे समाज के विभिन्न आदिवासी समाज का नेतृत्व एवं प्रतिनिधित्व करने वाले मांझी,
चालकी जैसे सम्माननीयजनों से पुलिस महानिरीक्षक, पुलिस अधीक्षक, कलेक्टर एवंअन्य वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा रूबरू होकर क्षेत्र की सुरक्षा एवं विकास संबंधी समस्यों के निराकरण की दिशा में विचार किया गया।
बस्तर ता माटा कार्यक्रम के दौरान वनांचल क्षेत्र से आने वाले समाज प्रमुखों द्वारा बस्तर क्षेत्र के समृद्ध सांस्कृतिक विरासत एवं सामाजिक समरसता के महत्व के संबंध में सुझाव दिये गये।
जिसे पुलिस द्वारा अपने कार्य प्रणाली एवं शैली में सम्मिलित कर अपनाया जा रहा है। इसी प्रकार बस्तर क्षेत्र के शांति, सुरक्षा एवं विकास हेतु सर्वोच्चतम बलिदान दिये जवानों एवं नागरिकों की स्मृति में अधिकारियों व गणमान्य नागरिकों द्वारा वृक्षारोपण भी किया गया।
कार्यक्रम के समापन में बस्तर आईजी सुन्दरराज पी., बस्तर कलेक्टर चंदन कुमार, बस्तर एसपी जितेन्द्र मीणा एवं अन्य पुलिस व प्रशासनिक अधिकारी द्वारा बस्तर संभाग के समस्त मांझी, चालकियों के साथ सामूहिक भोजन किया।