Nitin Gadkari Australia Visit: केंद्रीय भूतल और परिवहन मंत्री नितिन गडकरी इन दिनों ऑस्ट्रेलिया (Australia) के दौरे पर हैं. जहां पर उन्होंने यूनिवर्सिटी ऑफ न्यू साउथ वेल्स (UNSW) में अपनी जिंदगी का एक ऐसा किस्सा सुनाया जो अब वायरल हो रहा है. ट्रांसपोर्ट महकमे के मंत्री गडकरी के मुताबिक यह बात करीब 1998 की होगी. उस दौरान वो महाराष्ट्र की सरकार में मंत्री हुआ करते थे.
विदेशों में भारत के लिए क्या ढूंढते हैं गडकरी?
गडकरी ने अपने संबोधन में मंच और हॉल में मौजूद लोगों का अभिवादन और आभार प्रकट करते हुए कहा, ‘मैं इस यूनिवर्सिटी और इस जगह की प्रतिभा का कायल हूं. 1998-99 के आसपास मैं यहां था. यहीं पर ट्रेबल स्ट्रीट ब्रिज भी था. मैंने उस दौर में यहां के पुल और तकनीक देखी और उसके आधार पर हमने अपने देश में कुछ डिजाइन अप्रूव किए. मैं जहां भी जाता हूं वहां की तकनीक को समझकर अपने देश में उसका कैसे अच्छा से अच्छा इस्तेमाल हो सकता है, उसे समझने की कोशिश करता हूं.’
भारत का रोड नेटवर्क दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा
अपने भाषण में उन्होंने ये भी कहा, ‘मुझे मुंबई में 55 फ्लाईओवर बनवाने का मौका मिला और इसी प्रोजेक्ट की तरह बांद्रा-वर्ली सी लिंक प्रोजेक्ट समेत कई प्रोजेक्ट कामयाबी के साथ पूरे किए हैं. उस वक्त मुझे मौका मिला कि मुंबई-पुणे के बीच पहला एक्सप्रेस हाइवे बनवाऊं. आज 25 साल बाद मैं फिर यहां हूं. यह बेहद खुशी और गर्व की बात है. भारत का रोड नेटवर्क दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा है. बढ़ती आबादी के दबाव और अन्य चुनौतियों के बावजूद मेरा मंत्रालय नए कीर्तिमान बना रहा है. ये गौरव की बात है.’
मंत्रालय के बेसिक्स समझते हैं गडकरी
गडकरी ने अपने संबोधन में पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन एफ. केनेडी के एक कथन का भी जिक्र करते हुए कहा, ‘पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति केनेडी ने कहा था कि अमेरिका की सड़कें इस वजह से अच्छी नहीं हैं कि अमेरिका रईस हैं, बल्कि अमेरिका इसलिए रईस है क्योंकि यहां की सड़कें अच्छी हैं.