बालोद। CG NEWS : जिले में पिछले 5 दिनों में 250 से अधिक गायों में लंपी वायरस के लक्षण मिले हैं, जिसके बाद से पशुपालन विभाग सतर्क हो गया है। विभाग ने इन गायों के सैंपल रायपुर लैब में जांच के लिए भेजे हैं। पशुपालन विभाग को अब रिपोर्ट का इंतजार है, ताकि लंपी वायरस की पुष्टि हो सके।
पशुपालन विभाग ने ऐसे मवोशियों की पहचान करनी शुरू कर दी है, जो बीमार हैं और जिनके लक्षण लंपी वायरस से होने वाले संक्रमण की तरह हैं। जिला पशुपालन अधिकारी डीके सहारे ने कहा कि दीपक डेयरी और वीरेंद्र डेयरी दोनों में मिलाकर ढाई सौ से ज्यादा गायें बीमार हैं। उन्होंने बताया कि बालोद जिले में लंपी वायरस के टीके की मांग की जा रही है और अब तक 40 हजार पशुओं को वैक्सीन लगाई गई है। युद्धस्तर पर इस वायरस से निपटने की तैयारी की जा रही है।
पशुपालन विभाग के अधिकारी ने कहा कि हमने पहले से ही टीकाकरण को प्राथमिकता दी है, इसी वजह से बालोद जिले में इसका फैलाव कम देखने को मिल रहा है। जिले के बालोद, गुंडरदेही, डौंडीलोहारा और गुरूर ब्लॉक में कई मवेशियों के बीमार होने की बात पशुपालन विभाग ने की थी। इधर जिले में संक्रमण के डर से ग्राम करहीभदर, खेरथा पशु बाजार में रोक लगा दी गई है। हालांकि ग्राम करहीभदर पंचायत ने मवेशी बाजार को शुरू कराने के लिए जिला प्रशासन को आवेदन भी प्रस्तुत किया है। इन मवेशी बाजारों के चलते पंचायत और ठेकेदारों को मोटी रकम मिलती है।
पोंडी गांव में मवेशियों को लगाया गया टीका
इन दिनों ग्राम पोंडी में लंपी वायरस से बचाने के लिए मवेशियों को पशु चिकित्सक टीका लगा रहे हैं। इसके अलावा अन्य गांवों में भी टीकाकरण चल रहा है। जिला प्रशासन, पशु चिकित्सा विभाग के अफसरों ने डॉक्टरों को निर्देश दिए हैं कि किसी भी गांव में पशुपालकों से सूचना मिलने के बाद तत्काल टीकाकरण और दवाई की व्यवस्था की जाए।
लंपी वायरस को लेकर बालोद कलेक्टर कुलदीप शर्मा ने शुक्रवार को अधिकारियों की आपात बैठक भी बुलाई थी। उन्होंने किसानों को लंपी वायरस को लेकर जागरूक करने के निर्देश अधिकारियों को दिए थे, क्योंकि अधिकतर ग्रामीण इसे बड़ी-छोटी माता मानकर चल रहे हैं। उनमें जानकारी का अभाव है। कलेक्टर ने पंचायत स्तर पर मॉनिटरिंग करने और पंच-सरपंच व कोटवार के माध्यम से पशुपालकों को जागरूक करने के निर्देश दिए हैं।
लंपी वायरस के लक्षण और रोकथाम
लंपी वायरस गोवंशीय मवेशियों में ज्यादा पाई जाती है। इस रोग का फैलाव मक्खी-मच्छरों के काटने से होता है। इससे पशुओं को हल्का बुखार होता है। पूरे शरीर पर गांठें हो जाती हैं। पशु में अगर लंपी वायरस से संक्रमण के लक्षण दिखें, तो उनकी और उनके रहने की जगह की साफ-सफाई अच्छी तरह से करनी चाहिए। पशुशाला को इनफेक्शन रहित करने के लिए स्प्रे भी करना चाहिए। पशुओं को संतुलित आहार और हरा चारा देना चाहिए। अगर किसी मवेशी की मौत हो जाए, तो उसके शव को गहरे गड्ढे में दबा देना चाहिए।