भिलाई इस्पात संयंत्र द्वारा निर्मित भारत और रूस की मित्रता के प्रतीक मैत्री बाग जू को सफेद शेरों की नर्सरी भी कहा जाता है। यहां लगभग 7 सफेद शेर और शेरनी हैं। यहां बड़ी संख्या में शावक जन्म लेते हैं। इसी तरह दो महीने पहले पैदा हुए नन्हे शावक सिंघम को अब केज के बाहर छोड़ दिया गया है। यानी सिंघम को देखने के लिए अब पर्यटकों का इंतजार खत्म हो चुका है।
भिलाई इस्पात संयंत्र के मैत्री बाग में सिंघम को देखने भीड़ उमड़ रही है। सिंघम अपनी मां रोमा के साथ केज के बाहर खुले आसमान में पहली बार बाहर आया। जिसे देखने के लिए स्कूली बच्चों और पर्यटकों की भीड़ लग रही है। दरअसल दो महीने पहले शावक सिंघम को सफदे शेरनी रोमा ने जन्म दिया है। शावक को किसी तरह की कोई परेशानी न हो इसके लिए जू प्रबंधन ने दो माह तक सिंघम का विशेष ध्यान रखा।
मैत्री बाग जू में एक-एक कर सफेद बाघ की मौत के साथ इनकी संख्या घटती जा रही थी। ऐसे में पैदा हुआ नया शावक कई सालों बाद काफी खुशी लेकर आया है। इससे पहले जू प्रबंधन सफेद शेरनी सोनम और सुल्तान की ब्रीडिंग कराता था। लेकिन उसके दूसरे जू चले जाने से सुल्तान अकेला पड़ गया था। इस बीच उसकी दोस्ती जू की नई शेरनी रोमा के साथ हुई। इस जोड़े को एक साथ केज में रखा गया। उनकी ब्रीडिंग करवाई गई। यह प्रयोग सफल रहा और जू में फिर से सफेद शेर का कुनबा बढ़ने लगा है। जू के इंजार्ज डॉ. एनके जैन ने बताया कि मैत्री बाग में 4 सालों बाद कोई शेर पैदा हुआ है। इससे पहले 2018 में सफेद बाघ के शावक रक्षा और आजाद की किलकारी गूंजी थी। सिंघम को दो माह तक पर्यटकों से दूर रखा गया और आज सिंघम को पर्यटकों के लिए बाड़ा के बाहर छोड़ा गया। यह पर्यटकों के लिए खास आकर्षण का केंद्र होगा।