संवाददाता – दीनदयाल शर्मा
सक्ती। SAKTI NEWS : नगर के प्रतिष्ठित फर्म डी एम परिवार का नाम समाज सेवा में अग्रणी है। परिवार के नजदीकी प्रसिद्ध अंतरराष्ट्रीय वक्ता एवं जीवन प्रबंधन के गुरु पंडित विजय शंकर मेहता का डी एम परिवार के प्रांगण में देह के उस पार व्याख्यान में पंडित जी ने मृत्यु की सत्यता को बताया। रामायण से महाभारत दशरथ एवं त्रिलोक विजयी रावण इच्छामृत्यु का वरदान पाने वाले गंगापुत्र भीष्म राजा परीक्षित योगिराज श्री कृष्णा को भी देह त्याग करना पड़ा। ।देह का अंत होता है आत्मा अमर अजर है । देह नश्वर है।देह पर दंभ नहीं होना चाहिए। पंडित का मूल मंत्र जरा मुस्कुराइए व्याख्यान सुनने पहुंचे वाले श्रोताओं के अधरों पर सहज ही मुस्कान ला रही थी। पंडित के एक एक शब्द जीवन जीने का हुनर बताने का काम कर रही थी।
व्याख्यान के अंत में उन्होंने उनके हमारे हम सभी के प्यारे लाड़ले हनुमान के लिए कही ये बातें मैं हनुमान चालीसा पीता हूं, ओढ़ता हूं और हनुमान चालीसा ही बिछाता हूं। से सभी श्रोता मुग्धा होते नजर आ रहे थे। डीएम परिवार सभी सदस्यों को आशीर्वाद देते हुए मेहता ने कहा उनके ध्यान केन्द्र के लिए पहली दान राशि डीएम परिवार के वरिष्ठ समाजसेवी लखनलाल ने मेरे द्वारा अयाचित ही दी थी।और यह ध्यान केन्द्र निर्माण का पहला दान था।ऐसी थी लखनलाल दान वृती उनकी समझ एवं भेदी आंखें। लखनलाल को स्मरण करते हुए पंडित ने कहां लखनलाल जी हमेशा उनके हृदय के करीब है।आयोजन में बड़ी संख्या में नगरवासी शामिल हुए।