हिंदू पंचांग के अनुसार पूर्णिमा का दिन प्रत्येक माह का आखिरी दिन होता है. अभी मार्गशीर्ष महीना चल रहा है, ये भगवान श्रीहरि के अवतार कृष्ण को समर्पित है वहीं पूर्णिमा तिथि पर भगावन विष्णु की पूजा की जाती है।
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पूर्णिमा पर व्रत रखकर भगवान सत्यनारायण की कथा करने से देवी लक्ष्मी अति प्रसन्न होती है।मार्गशीर्ष की पूर्णिमा( purnima) पर ही त्रिदेव(ब्रह्मा, विष्णु, महेश) के अंश भगवान दत्तात्रेय का जन्मोत्सव भी मनाया जाता है।
मागर्शीर्ष पूर्णिमा इस साल बेहद खास संयोग
मागर्शीर्ष पूर्णिमा इस साल बेहद खास संयोग में मनाई जाएगी. इस दिन तीन शुभ योग सर्वार्थ सिद्धि, रवि और सिद्ध योग का संयोग बन रहा है. जिसमें स्नान, दान, जप, तप करना पुण्यकारी माना जाता है।
रवि योग ( ravi yog)- सुबह 07.03 – सुबह 10.25
सर्वार्थ सिद्धि योग – पूरे दिन
सिद्ध योग – 7 दिसंबर 2022, सुबह 02:53 – 8 दिसंबर 2022, सुबह 02.55
क्या है पूजा विधि ( worship)
मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन ब्रह्म मुहूर्त में पवित्र नदी या फिर उसके जल से स्नान करना चाहिए. भगवान विष्णु का ध्यान कर व्रत का संकल्प लें।
संभव हो तो पूजा वाली जगह पर गाय के गोबर से लेपन करें. गंगाजल छिड़कें।
लक्ष्मी-नारायण( laxman) का पंचामृत से अभिषेक करें. चंदन, अष्टगंध, रोली, मौली, पुष्प, गुलाल, अबीर, सिंदूर, फल, मिठाई, अर्पित।
श्रहरि के भोग में तुलसीदल अवश्य डाले, लेकिन माता लक्ष्मी को प्रसाद चढ़ाते वक्त तुलसी का पत्ता नहीं डालना चाहिए, शास्त्रों में इसे अनुचित माना है