अम्बिकापुर : CG News : शहर से लगे ग्राम भिट्ठिकला में जिला प्रशासन की बड़ी कार्रवाई करते हुए 4 ट्रक अवैध धान को जब्त कर लिया है। राज्य में धान खरीदी की शुरुआत होते ही राइस मिलर धान की कालाबाज़ारी कर बड़ा मुनाफा कमाते हैं। वहीं सरगुजा जिले में धान की कालाबाजारी धान खरीदी के साथ ही शुरू हो गई है।
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जिला प्रशासन की टीम को मुखबिर से सूचना मिली थी की ग्राम भिट्ठिकला के जोगीबांध स्थित कृष्णा राइस मिल में 4 ट्रक अवैध धन लाया गया था। जिस पर प्रशासन की टीम मौके पर पहुंचकर 4 ट्रक अवैध धान को जब्त कर दस्तावेज प्रस्तुत करने को कहा गया। लेकिन मौके पर किसी ने दस्तावेज कस्टम मिलिंग का नहीं दिखाया। वहीं दूसरी तरफ राइस मिल को जिला प्रशासन के द्वारा कस्टम मिलिंग की अनुमति भी नहीं दी गई है। जिला प्रशासन ने 4 ट्रक धान को जप्त कर आगे की कार्रवाई शुरू कर दी गई है।
सस्ते में पड़ोसी राज्य से खरीदते थे धान
सूत्रों के अनुसार, धान की कालाबाजारी में लोगों से लेकर मंत्री तक के तार जुड़े हुए हैं। राइस मिलों की बात करें तो यहा के राइसमिलर चंदा के तौर पर राजनीतिक व गैर राजनीतिक स्तर के लोगों को लाखों नहीं करोड़ों रुपये की बतौर पेशगी दी जाती है। ऐसी स्थिति में वे एक सिंडिकेट की तरह मनमानी काम करने का अवैध छूट प्राप्त कर लेते हैं। यही कारण है कि राइस मिलर एक सोची-समझी साजिश के तौर पर धान कटाई से पहले ही अलग-अलग राज्यों से निम्न स्तर के धान खरीदी करके अपने गोदामों में भर लिए हैं और अब दिखावे के रूप में धान का उठाव कर पहले से तैयार चावलों को खाद्य आपूर्ति निगम के गोदामों तक पहुंचा देते हैं। ऐसे में संभाग के फ्रेश या कहें उच्च स्तर के धान को यह अलग से कुटाई कर दूसरे राज्यों में ऊंची कीमत में बेचते हैं और संभाग के गरीब जनता को निम्न स्तर का चावल देकर मोटी रकम सरकार व प्राइवेट संस्थाओं से कमा रहे हैं।
खाद्य विभाग की मिलीभगत
धान के इस पूरे हेराफेरी में खाद्य विभाग के अधिकारियों की भूमिका भी संदिग्ध मानी जा रही है। सूत्रों के अनुसार, निम्न स्तर के चावल की क्वालिटी टेस्ट खाद्य विभाग के अधिकारी करते हैं, इसके लिए वे राइस मिलर से प्रति क्विंटल कि दर से अपना फीस निर्धारित कर दिए हैं ट्रक पहुंचने से पहले ही उन्हें उनका रुपया पहुंच जाता है। इसके पश्चात राइस मिल से पहुंचे चावल को ओके का सर्टिफिकेट मिल जाता है। जिसके बाद निम्न स्तर का चावल सर्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों में खफा दिया जाता है।