ग्रैंड न्यूज़ डेस्क। Jharkhand High Court : झारखंड हाई कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाते हुए कहा कि अगर कोई शादीशुदा महिला अपने पति के अलावा किसी दूसरे मर्द के साथ मंजूरी की बुनियाद पर पर सेक्सुअल रिलेशनशिप बनाती है तो बाद में वह उस पर रेप का केस नहीं कर सकती. अपने आदेश में हाईकोर्ट ने स्प्ष्ट किया है कि शादी का वादाकर पहले से विवाहित स्त्री से शारीरिक संबंध बनाना रेप की श्रेणी में नही आएगा। शादीशुदा महिला को शादी का झूठा वादाकर सेक्स के लिए बहलाया- फुसलाया नही जा सकता। क्योकि ये वादा ही अवैध है। इसके साथ ही अदालत ने बलात्कार का आरोप रद्द कर दिया। जस्टिस एसके द्विवेदी की अदालत ने मनीष कुमार नामक के एक शख्स की अर्ज़ी पर सुनवाई करते यह हुक्म दिया और उसके खिलाफ निचली अदालत की तरफ से लिए गए संज्ञान को रद्द कर दिया.
2019 में देवघर जिले के श्रावणी मेले में मनीष कुमार नामक शख्स की मुलाकात पीड़िता से उसके पिता की दुकान पर हुई थी। दोनो में बातचीत शुरू हो गई। इस दौरान मनीष कुमार को पता चला कि महिला का अपने पति से विवाद चल रहा है और विवाद के चलते वह अपने पति से अलग रहती है, उसने तलाक के लिए अर्जी भी डाली हुई है। धीरे-धीरे दोनो के बीच रिश्ता गहरा होता गया और दोनो के बीच कई बार गूगल पे के माध्यम से पैसो का लेनदेन भी हुआ। पीड़ित महिला का तलाक होने के बाद उससे शादी का वादा करके मनीष कुमार ने उससे कई मौकों पर शारीरिक संबंध बनाए। 3 दिसंबर 19 को आरोपी मनीष ने महिला के गले मे वरमाला भी डाली थी। पर 11 फरवरी 2021को शादी से मुकर गया।
जिसके बाद महिला की मां ने देवघर जिले के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के यहां याचिका लगाई। और धोखाधड़ी से संबंध बनाने के खिलाफ कार्यवाही की गुहार लगाई। जिसके बाद मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने 406,420,376 (n) (2) के तहत अपराध दर्ज कर कार्यवाही के निर्देश दिए। जिसके खिलाफ मनीष ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई। मनीष की अधिवक्ता ने हाईकोर्ट के समक्ष तर्क रखते हुए कहा कि “महिला ने 164 के बयान दर्ज करवाने में यह स्वीकार किया है कि जब उसने संबंध बनाए तब उसका तलाक नही हुआ था और वो पहले से शादीशुदा थी।” आरोपी की अधिवक्ता ने यह भी तर्क दिया कि दोनो वयस्क व समझदार हैं, दोनो ने सहमति से शारीरिक संबंध बनाए थे, महिला इसका मतलब अच्छे से समझती थी। ऐसे में उसे शादी का झांसा देने का “प्रश्न ही नही उठता”।
आरोपी मनीष कुमार की मां सुमन देवी ने भी एफआईआर करवाने वाली महिला के खिलाफ धारा 147,342,323,380,406,452,420,504,34 के तहत 18 फरवरी 2021 को केस दर्ज करवाया है। आरोपी की मां ने आरोप लगाया कि बदले की भावना से ही उनके बेटे के खिलाफ हाईकोर्ट से झूठी याचिका लगाई है। हाईकोर्ट ने इस बात का उल्लेख भी अपने फैसले में किया है।
मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस संजय द्विवेदी ने कहा कि “पीड़िता एक शादीशुदा वयस्क महिला हैं”। उसने उसकी इच्छा से मनीष कुमार के साथ यौन संबंध बनाए, यह जानते हुए भी कि वह मनीष कुमार के साथ शादी नही कर सकती, क्योकि वह खुद अभी शादीशुदा है। इसके बावजूद उसने मनीष कुमार के साथ संबंध बनाए। आईपीसी की धारा 376(2)(एन) के तहत अभियोजन का आधार नही माना जा सकता। हाईकोर्ट ने ये भी कहा कि- इस केस में धोखाधड़ी का आधार भी नही माना जा सकता, क्योकि धोखाधड़ी का आशय तब माना जा सकता है जब शुरू से ही यह व्यक्ति महिला से धोखे के इरादे से मिला हो। इसके साथ ही एफआईआर रद्द कर दी गई।