रायगढ़। places to visit chandrapur : नवगठित जिला शक्ति के अंतर्गत आने वाला चंद्रपुर जहां चंद्रहासिनी मां नाथल दाई मंदिर को देखने के लिए पड़ोसी राज्य उड़ीसा के बारगढ़ और आसपास के सभी राज्यों से दर्शनीय पर्यटन को देखने के लिए लोगों की उमड़ी भीड़ ।
माँ चंद्रहासिनी देवी मंदिर के सामने शिशु मंदिर के पीछे प्राचीन किले का भग्नावशेष आज भी विद्यमान हैं। मंदिर के ट्रस्टी ने बताया कि यह किला चंद्रपुर नरेश के पूर्वज चंद्रहास सिंह ने बनवाया था। चंद्रपुर की अनोखी कहानी है। हम आपको बतलाते है- इन के नाम पर गांव का नाम चंद्रपुर और उनकी कुलदेवी का नाम चंद्रहासिनी पड़ा है। डॉ. बलदेव सहाय बताते हैं कि चंद्रपुर के राजा सुरेंद्र शंकर सिंह संबलपुर -उड़ीसा के राजपूत नरेश छत्रसाल सिंह के वंशज हैं। उस समय चंद्रपुर संबलपुर राज्य के अंतर्गत आता था। संबलपुर नरेश गर्मी के दिनों में चंद्रपुर में महानदी के किनारे आ कर रहा करते थे, बाद में उन्होंने चंद्रपुर को अलग राज्य का दर्जा देकर अपने एक पुत्र चंद्रसाय को यहां का राजा बनाया था। चंद्रहासिनी मां की अगर महिमा की बात करें तो एक पिता के द्वारा एक बच्ची को पुल के ऊपर से नीचे फेंक दिया गया था मां ने अपनी झोली मे बच्ची को झोक लिया ।
बतादें कि चंद्रपुर रायगढ़ से सारंगढ़ मार्ग में 29 किलोमीटर दूर महानदी के पार चंद्रपुर ग्राम में स्थित है। सारंगढ़ से सड़क मार्ग पर यह 22 किलोमीटर दूरी पर स्थित है। यहां पर कभी भी पहुंचा जा सकता है। यह एक धार्मिक पर्यटन स्थल है जहां ठहरने की भी सुविधा है। आदि शक्ति मां के 51 शक्ति पीठ कहे गए हैं। पुराणों में माता के शक्तिपीठों का नाम दिये गये हैं उनमें से दो शक्तिपीठ अज्ञात कहें गये हैं। ‘पंचसागर शक्तिपीठ’ छत्तीसगढ़ में विद्यमान हैं। पौराणिक आख्यानों के अनुसार पंचसागर शक्तिपीठ का जो वर्णन मिलता है वैसा ही स्वरूप छत्तीसगढ़ के चन्द़हासिनी देवी मंदिर में परिलक्षित होता है।
‘पंचसागर शक्तिपीठ’ की पौराणिक व्याख्या में कहा गया है,’ “ऐसा स्थल जहां पांच जल स्रोतों का संगम हो एवं सती के निचले जबड़े जहां गिरे हो, जो शक्ति स्थल वराह के रूप में हो, उसी स्थल पर भैरव, महारुद्र के रूप में विराजे हो वह पंचसागर शक्तिपीठ है।