बिलासपुर। CG NEWS : आधारशिला विद्या मंदिर कोनी में मनोवैज्ञानिक व लाइफ कोच भूमिका ग़िज़ारे ने बच्चों से ‘आत्म जागरूकता’ विषय पर संवाद किया। उन्होंने बच्चों के मनोवैज्ञानिक पक्ष का अध्ययन किया है और वे कई विद्यालयों एवं स्कूलों के साथ कार्य कर रहीं हैं। बातचीत की शुरुआत में बच्चों ने पढाई एवं एकाग्रता से सम्बंधित प्रश्न पूछे।
उन्होंने कहा की आज के दौर में बच्चों एवं तरुणों की बौद्धिक क्षमता के साथ-साथ उनकी चुनातियाँ भी बढ़ी हैं। ऐसे में समस्याओं को समझना एवं उनका निदान करना आवश्यक है। आप स्वयं अपनी समस्यायों का निदान कर सकते हैं। उदहारण के तौर पर उन्होंने ‘एकाग्रता’ से सम्बंधित समस्याओ को लिया। उन्होंने कहा की हमें फिल्मों के डायलॉग, गाने आदि याद हो जाते हैं एवं फिल्म के दौरान ध्यान कहीं नहीं जाता। इसका मतलब है कि हमारा मस्तिष्क ठीक काम करता है। हमारा हार्डवेयर ठीक है एवं सॉफ्टवेयर में ही कुछ गड़बड़ है। इस सॉफ्टवेयर को समझना होगा।
उन्होंने एक गतिविधि के माध्यम से चेतन, अवचेतन एवं अचेतन मन को समझने में बच्चों की मदद की। उन्होंने ‘आत्म निरिक्षण’ विधि द्वारा बच्चों को अपने बौद्धिक एवं भावनात्मक पक्ष को देखने में मदद की। उन्होंने कहा कि ध्यान से देखना आप जो भी निरंतर सोचते एवं महसूस करते हैं – आप वही बन जाते हैं। जब हम सकारात्मक विचारों व भावनाओं के साथ रहते हैं तो स्वतः ही हम सकारात्मक चीज़ें करते हैं। इस प्रकार उन्होंने आपसी व्यवहार में सकारात्मकता के महत्व को समझाया।
इसी क्रम में भूमिका ने उन्हें विभिन्न ‘लर्निंग स्टाइल’ के सम्बन्ध में बताया। उन्होंने पुनः एक गतिविधि एवं सामूहिक चर्चा से सिद्ध किया की जब हम किसी टॉपिक को ध्यान देकर सुनते हैं, लिखते हैं एवं खुद किसी को बताते हैं तो वह बात हमें आसानी से समझ कर याद हो जाती है। उन्होंने बच्चों से गलतियों से सीखने की प्रक्रिया पर भी बातचीत की | उन्होंने कहा की पढ़ने के दौरान भूख लगना, गेम, मोबाइल देखने का मन करना आदि सामान्य है। उन्होंने इन समस्यायों के लिए सरल टिप्स बताये। उन्होंने कहा की धीरे-धीरे जब हम इन्हे अपनाने लगते हैं तो हमारा मन पढ़ने के समय पढ़ लेता हैं और खेलने के समय खेल लेता है।
विद्यालय के चेयरमैन डा. अजय श्रीवास्तव ने कहा कि जागरूक एवं मजबूत मन में असीम संभावनाएं हैं। आज के डिजिटल युग में खुद की मानसिक एवं भावनात्मक क्षमता का सही इस्तेमाल करना सीखना आवश्यक है | विद्यालय के अकादमिक निदेशक एस.के जनस्वामी ने कहा कि हमारा प्रयास रहता है कि बच्चे विभिन्न विषयों के साथ अपने मन को भी समझे एवं खुद को व्यवस्थित करना सीखें | आशा है, बच्चे इस सत्र से मिले टिप्स पर कुछ अभ्यास करेंगे एवं अपने अनुभवों को शिक्षकों से साझा करेंगे | विद्यालय की प्राचार्या जी. आर मधुलिका ने सेमिनार के सञ्चालन के लिए भूमिका जी का धन्यवाद् किया एवं बच्चों का उत्साहवर्धन किया |