सर्वार्थ सिद्धि, प्रजापति और अमृत सिद्धि योग में प्रदोष व्रत रखा जा रहा है। इन चार शुभ योगों मे शिव-पार्वती पूजा का फल और बढ़ जाएगा। ये व्रत भगवान शिव का आशीर्वाद पाने के लिए खास होता है। 22 को यानी कल मासिक( masik) शिवरात्रि है। ये दिन भी भगवान शिव को समर्पित होता है।
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सुबह घर पर ही पानी( water) में पवित्र नदियों का जल डालकर स्नान किया जाता है। पूजा स्थान को साफ और पवित्र करके पूर्व दिशा में मुंह रखकर भगवान शिव-पार्वती( shiv parvati) के साथ ही गणेशजी और कार्तिकेय जी की पूजा की जाती है।
आंकड़े के फूल, बेल पत्र, धतूरा, अक्षत आदि से पूजन कर नैवेद्य चढ़ाते हैं
शिवजी को पंचामृत से स्नान करवाते हैं। आंकड़े के फूल, बेल पत्र, धतूरा, अक्षत आदि से पूजन कर नैवेद्य चढ़ाते हैं। इसके बाद कामना पूर्ति या जिस किसी विशेष प्रयोजन के लिए प्रदोष व्रत कर रहे हैं तो उसे बोलकर व्रत का संकल्प लिया जाता है।
ज्योतिष ग्रंथों में बताया गया है कि सोम, मंगल, शुक्र और गुरुवार को अमावस्या
सौम्य वार में पड़ने वाली अमावस्या शुभ होती है। वहीं क्रूर वार के साथ अशुभ फल देने वाली होती है। ज्योतिष ग्रंथों में बताया गया है कि सोम, मंगल, शुक्र और गुरुवार( thrusday) को अमावस्या हो तो ये देश के लिए शुभ होती है। इस योग से अन्य अशुभ ग्रहों के असर में कमी आती है।