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इम्मू दिलेर भाईजान ने शुरू की सर्दी में रिश्तों को गर्माहट देने की मुहिम, आप भी जरूरतमंदों तक ऐसे पहुंचा सकते हैं गर्म कपड़े, बेसहारों की मदद में आप भी करें योगदान
गरियाबंद- ठंड ने कोहरे के साथ शहर में दस्तक दे दी है. सड़कों और फुटपाथ के किनारे रात बिताने वाले लोगों की मदद के लिए समाज के लोग आगे आने शुरू हो गए हैं. असहायों की सहायता करने में इम्मू दिलेर भाईजान भी पीछे नहीं है.
इम्मू दिलेर भाई जान लगातार वर्षों से समाज की सेवा के लिए जाने जाते है कोरोना काल के समय ओर जब लोग घर से निकल में कतरा रहे थे लोगो में डर और ख़ौफ़ का माहौल था उस विषम परिस्थिति में भी इम्मू दिलेर भाई जान ने जरुरतमंदो को रोज़ अपने घर से ख़ाना बना कर सुबह और शाम अलग अलग थैले में बाटने निकल ज़ाया करते थे
दिन दुखियों और ज़रूरतमंदो के प्रति निस्वार्थ सेवा भाव के चलते लोगो ने इमरान को इम्मू दिलेर भाईजान के नाम से पुकारना शुरू कर दिया
समाज और ज़रूरतमंदो के प्रति उनके द्वारा सेवा भाव देख नगरवासीयो ने इमरान मेमन से उनका नाम इम्मू दिलेर भाईजान रख दिया था जरूरतमंदों को भोजन, कम्बल,, नये कपड़े, एवं अन्य जरूरत की सामग्री निःशुल्क वितरण करने वाला जन समर्पण सेवा करने वाला इम्मू दिलेर भाईजान आज इसी कड़ी में गरियाबंद के भिलाई गांव स्थित सियान सदन पहुँचे जहां उन्होंने ने बुजुर्गों का आशीर्वाद लेते हुए उन्हें कंबल और बिस्किट भेट किया साथ ही घरौंदा आश्रम में मानसिक रूप से दिव्यांग बच्चों को स्वेटर भेट किया,
गौरतलब है कि इम्मू दिलेर भाईजान समाजसेवा के जरिये बढ़-चढ़कर गरीबो दीन- दुखियों की सहायता करने के लिए कर्मठ इम्मू हमेशा तत्पर रहते हैं। इसी तरह तमाम ऐसे नेक काम करते आ रहे हैं जिसके चलते इम्मू दिलेर भाईजान ने ज़रूरतमंदो के दिल में अपनी अलग जगह बना ली है।
अपने पुराने गर्म कपड़े उनको दो जिन्हे इसकी सच में ज़रूरत है – इम्मू
उन्होंने शहर के लोगों से अपील किया कि जो लोग जिन गर्म वस्त्रों को वह अपने प्रयोग में नहीं ला रहे हैं ऐसी वस्तुओं को अपने आस-पास की झुग्गी झोपडिय़ों में देकर गरीब लोगों का सहयोग करें ताकि वे भी ठंड से अपनी बचाव कर सकें। गरीब और ज़रूरतमंद की सहायता करना सबसे बड़ा पुण्य का काम है। इन दिनों कड़ाके की सर्दी पड़ रही है। इस स्थिति में शहर में सैकडो ज़रूरतमंद लोग ऐसे हैं जो बिना गर्म कपड़ों के रह रहे हैं। आप सभी से एक ही निवेदन है आप सब को जब भी समय मिले एक ग्रुप बना कर आर्थिकरूप से संपन्न लोगों के घर-घर जाकर उनके पुराने गर्म कपड़े जरूरतमंदों को बांटने के लिए एकत्रित करे। इस दौरान उन्होंने कहा कि हम लोग अपने पूर्वजों से गरीब, असहाय लोगों की सहायता करना सीखे हैं। हमेशा यही प्रयास रहता है कि गरीब ज़रूरतमंद व्यक्ति उनके दरवाजे से ख़ाली हाथ ना लौटे