चीयर्स’ किए बिना शराब ( wine)को होठों से लगाना कुछ वैसा ही अधूरा है, जैसे फोन पर बातचीत शुरू करने से पहले ‘हलो’ न कहना. जाम टकराने की यह परंपरा सदियों से चली आ रही है।आप जानते है ऐसे क्यों किया जाता है
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इंसान की 5 ज्ञानेंद्रियां होती हैं- आंख, नाक, कान, जीभ और त्वचा. जब शराब पीने के लिए लोग गिलास हाथों में उठाते हैं तो वे उसे सबसे पहले स्पर्श करते हैं. इस दौरान आंखों से उस ड्रिंक को देखते हैं. पीते वक्त जीभ से उस ड्रिंक्स का स्वाद महसूस करते हैं. इस दौरान नाक से उस ड्रिंक के एरोमा या सुगंध का ऐहसास करते हैं. घोष के मुताबिक, शराब पीने की इस पूरी प्रक्रिया में बस कान का इस्तेमाल नहीं होता. इसी कमी को पूरी करने के लिए ही हम ‘चीयर्स’ करते हैं और कानों के आनंद के लिए गिलासों के टकराते हैं।
सेलिब्रेशन ( celebration) का शैंपेन से क्या है नाता
घोष बताते हैं कि फ्रेंच रिवॉल्यूशन के बाद पहली बार जश्न के मौके पर शैंपेन का सार्वजनिक तौर पर इस्तेमाल किया गया. उस वक्त शैंपेन एक स्टेटस सिंबल हुआ करता था और इसे खरीदना आम लोगों के बस की बात नहीं थी. हालांकि, अब यह काफी सस्ता हो चुका है और मध्यमवर्गीय लोग भी इसे आसानी से खरीद सकते हैं. जिनके लिए शैंपेन महंगी है।