Russia May Increase Taxes: रूस के सैन्य खर्च में वृद्धि हो रही है। इसे देखते हुए अर्थशास्त्रियों ने कहा कि रूस अपने बजट को पूरा करने के लिए तेल राजस्व पर बहुत अधिक निर्भर हो रहा है। उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर इस साल कच्चे तेल की कीमतें अपेक्षाओं को पूरा करने में विफल रहती हैं, तो सरकार को करों में वृद्धि करनी पड़ सकती है। मुख्य रूप से निर्यात किए जाने वाले तेल की कीमत दिसंबर की शुरुआत से 20 फीसदी से अधिक गिर गई है।
प्राइस कैप से रूस के लिए खड़ी हुई समस्या
पश्चिमी देशों ने रूसी तेल निर्यात पर 60 डॉलर का प्राइस कैप लगा दिया है जिससे मॉस्को की फाइनेंस क्षमता को प्रतिबंधित किया जा सके। प्राइस कैप की वजह से रूस के लिए तेल निर्यात करना मुश्किल हो रहा है। लिहाजा मॉस्को इस अंतर को भरने के लिए चीन और भारत पर भरोसा कर रहा है, जो क्रमशः दुनिया के सबसे बड़े और तीसरे सबसे बड़े तेल आयात करने वाले देश हैं।
तेल पर बजट की बढ़ती निर्भरता से चिंता
अल्फा बैंक ने एक नोट में कहा, “तेल पर बजट की बढ़ती निर्भरता चिंता पैदा करती है।” विश्लेषकों का कहना है कि सरकार ने 2022 में यूक्रेन में अपनी सेना को वित्त देने के लिए खर्च में एक चौथाई से अधिक की वृद्धि की है। लिहाजा, बजट को संतुलित करने के लिए जरूरी है कि तेल की कीमत 67 डॉलर से बढ़ाकर 101 डॉलर प्रति बैरल की जाए।
इसलिए बढ़ सकता है टैक्स
अल्फा बैंक की मुख्य अर्थशास्त्री नतालिया ओरलोवा ने कहा, ”जब वास्तविक तेल की कीमत और संतुलन कीमत के बीच एक बड़ा अंतर होता है, तो इसे उधार लेकर स्थायी रूप से कवर नहीं किया जा सकता है। राजकोषीय नीति को समायोजित करने के लिए कुछ उपायों की जरूरत है। इसे तो खर्च में कटौती करके या अतिरिक्त राजस्व की तलाश से पूरा किया जा सकता है।” ओरलोवा ने कहा, ”राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के 2024 में होने वाले चुनाव और इस साल के अंत में होने वाले क्षेत्रीय वोटों में ऐतिहासिक पांचवें कार्यकाल की उम्मीद कर रहे हैं। ऐसे में खर्च में कटौती का सवाल ही नहीं उठता।” लिहाजा संभव है कि करों में वृद्धि की जाए।