पश्चिमी जर्मनी। International News : बर्लिन में मंगलवार को स्वीडिश जलवायु कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग (greta thunberg) को कोयला खदान के विस्तार को लेकर प्रदर्शन करने के आरोप में पुलिस ने हिरासत में ले लिया था। हालांकि उनकी पहचान होने के बाद उन्हें छोड़ दिया गया। पुलिस ने बताया कि ग्रेटा थनबर्ग सहित अन्य लोगों को हिरासत में लिया गया था, लेकिन जलवायु कार्यकर्ता की पहचान होने के बाद उन्हें रिहा कर दिया गया। बता दें कि ग्रेटा थनबर्ग पश्चिमी जर्मनी में एक गांव में कोयले के खदान के विस्तार को लेकर विरोध कर रही थी। उनके साथ अन्य प्रदर्शनकारी भी मौजूद थे, जिन्हें भी हिरासत में लिया गया था।
कोयला खदान को लेकर विरोध प्रदर्शन
greta thunberg सैकड़ों लोगों के साथ पश्चिमी जर्मन राज्य नॉर्थ राइन-वेस्टफेलिया में कई स्थानों पर खनन-विरोधी विरोध शामिल हुई थी। मालूम हो कि इस जगह पर पुलिस ने पहले कई प्रदर्शनकारियों को हटा से दिया था, लेकिन मंगलवार को वहां फिर से प्रदर्शन शुरू हो गया। इसके बाद पुलिस ने यह कदम उठाया।
काफी दिनों से चल रहा है विरोध-प्रदर्शन
जर्मन समाचार एजेंसी डीपीए ने बताया कि धरनास्थल पर मौजूद प्रदर्शनकारियों से पुलिस ने पहले ट्रैक को खाली करने का अनुरोध किया, लेकिन लोगों के नहीं मानने पर पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया। इसके अलावा, कई लोगों ने इंडेन की कोयला खदान में एक विशाल डिगर पर कब्जा कर लिया, जबकि सैकड़ों अन्य प्रदर्शनकारी लुएत्ज़ेरथ के पास एक विरोध मार्च में शामिल हुए। बता दें कि हाल के दिनों में पुलिस ने गांव को ही खाली करा लिया था और उसे सील कर दिया गया है।
यह है जलवायु कार्यकर्ताओं का तर्क
कोयला खदान का विस्तार जलवायु कार्यकर्ताओं के लिए महत्वपूर्ण है। उनका तर्क है कि ऊर्जा के लिए कोयले को जलाना जारी रखने से पृथ्वी के वार्मिंग उत्सर्जन में वृद्धि होगी और वैश्विक तापमान वृद्धि को पूर्व-औद्योगिक स्तर से 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने की पेरिस जलवायु समझौते की महत्वाकांक्षा का उल्लंघन होगा। लिग्नाइट सबसे अधिक प्रदूषण फैलाने वाला कोयला है, यह सबसे अधिक प्रदूषण फैलाने वाला जीवाश्म ईंधन है।
एक हजार से अधिक पुलिस अधिकारियों को बेदखली अभियान में शामिल किया गया है। गांव की अधिकांश इमारतों को अब साफ कर दिया गया है और खुदाई करने वाली मशीनों से उन्हें हटा दिया गया है। यूरो न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक, मंत्रियों और ऊर्जा कंपनी आरडब्ल्यूई का कहना है कि खदान से निकलने वाला लिग्नाइट यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद जर्मनी की अल्पकालिक ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करेगा। वहीं, जलवायु कार्यकर्ताओं का कहना है कि यह कोयले का सबसे प्रदूषणकारी रूप है और वे चाहते हैं कि सरकार जीवाश्म ईंधन पर तत्काल कार्रवाई करे।
प्रदर्शन में शामिल होने जर्मनी पहुंची थी ग्रेटा थनबर्ग
ग्रेटा थनबर्ग विस्तारित खदान के खिलाफ सप्ताहांत प्रदर्शनों में भाग लेने के लिए पश्चिमी जर्मनी पहुंची थी और लुएत्ज़ेरथ के पास मंगलवार के विरोध प्रदर्शन में शामिल हुई थी। पुलिस ने कहा कि लगभग 50 प्रदर्शनकारियों का एक समूह खतरनाक तरीके से खदान के रिम के करीब पहुंच गया था। पुलिस ने कहा कि उस समूह के सभी लोगों को खदान के किनारे से दूर ले जाना पड़ा और फिर उनकी पहचान निर्धारित करने के लिए अस्थायी रूप से हिरासत में रखा गया।