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Bombay High Court : गर्भपात कराना है या नहीं, यह चुनना महिला का अधिकार, बॉम्बे हाईकोर्ट ने की अहम टिप्पणी

Neeraj Gupta
Last updated: 2023/01/24 at 1:45 PM
Neeraj Gupta
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2 Min Read
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महाराष्ट्र। Bombay High Court : बॉम्बे हाईकोर्ट ने महिला को 32 हफ्ते के गर्भ का अबॉर्शन करवाने की अनुमति दे दी है। एक महिला के भ्रूण में गंभीर असामान्यताओं का पता चलने के बाद बॉम्बे हाईकोर्ट ने गर्भावस्था को समाप्त करने की अनुमति दे दी। जस्टिस गौतम पटेल और एस जी डिगे की खंडपीठ ने 20 जनवरी के अपने फैसले में कहा कि गर्भावस्था जारी रखनी है या नहीं इसका फैसला लेने का पूरा अधिकार महिला का है। हाईकोर्ट ने बताया कि याचिकाकर्ता गर्भावस्था के 33 सप्ताह तक अबॉर्शन करवा सकती है।महिला चाहे तो गर्भावस्था रख सकती है न चाहे तो उसे हटा सकती है।

Contents
जजों ने मेडिकल बोर्ड का निर्णय मानने से किया इनकारक्या है मामला?

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जजों ने मेडिकल बोर्ड का निर्णय मानने से किया इनकार

यह विचार भले ही भ्रूण में गंभीर असामान्यताएं हों, इसे समाप्त नहीं किया जाना चाहिए। चूंकि गर्भावस्था लगभग अपने अंतिम चरण में है। दोनों जजों ने फैसला सुनाते हुए कहा कि गंभीर भ्रूण असामान्यता को देखते हुए, गर्भावस्था की अवधि कोई मायने नहीं रखती है। याचिकाकर्ता ने एक सूचित निर्णय लिया है। यह आसान नहीं है। लेकिन वह फैसला उसका है, और उसे अकेले ही करना है।

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इन्हें भी पढ़े-CG CRIME NEWS : आपसी रंजीश के चलते युवक ने चलायी गोली, आरोपी गिरफ्तार…

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क्या है मामला?

सोनोग्राफी से पता चला कि भ्रूण में गंभीर असामान्यताएं थीं और बच्चा शारीरिक और मानसिक अक्षमताओं के साथ पैदा होगा, जिसके बाद महिला ने गर्भपात कराने की मांग करते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। एक गंभीर भ्रूण असामान्यता को देखते हुए, गर्भावस्था की अवधि कोई मायने नहीं रखती। याचिकाकर्ता ने एक सूचित निर्णय लिया है। यह आसान नहीं है। लेकिन यह निर्णय उसका है, और उसे अकेले ही करना है। चुनने का अधिकार महिला का है। यह मेडिकल बोर्ड का अधिकार नहीं है। अदालत ने अपने आदेश में कहा।

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