ग्रैंड न्यूज़ डेस्क। BIG BREAKING : गुजरात में गांधीनगर की एक अदालत ने आसाराम बापू को एक महिला शिष्या के साथ बलात्कार के मामले में सोमवार को दोषी ठहराया. आसाराम के खिलाफ यह मामला 2013 में दर्ज किया गया था. इससे पहले, जोधपुर की एक अदालत ने 2018 में आसाराम को 2013 में एक नाबालिग से बलात्कार के लिए दोषी ठहराया था और उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. आसाराम अभी जोधपुर सेंट्रल जेल में उस सजा को काट रहा है.
लोक अभियोजक आर सी कोडेकर ने सोमवार को कहा, “अदालत ने अभियोजन के मामले को स्वीकार कर लिया और आसाराम को भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (2) (सी), 377 (अप्राकृतिक यौनाचार) और अवैध रूप से बंधक बनाने से जुड़ी धारा में दोषी ठहराया.” अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश डी. के. सोनी ने इस मामले में आसाराम की पत्नी लक्ष्मी सहित छह अन्य को बरी कर दिया है. बरी किए गए लोगों में आसाराम की बेटी भारती, मोटेरा आश्रम की पदाधिकारी ध्रुवबेन बलानी, कर्मचारी जसवंतीबेन चौधरी, आसाराम की अनुयायी निर्मला और मीरा भी शामिल है.
अन्य आरोपियों को बरी क्यों किया गया?
आसाराम के वकील चंद्रशेखर गुप्ता ने कहा, “अन्य आरोपियों को उनके खिलाफ सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया है और अदालत ने आपराधिक साजिश के आरोप पर विश्वास नहीं किया है.” बता दें कि आसाराम की सजा पर कोर्ट आज यानी मंगलवार को सुनवाई करेगा. 81 वर्षीय आसाराम 2013 में राजस्थान के अपने आश्रम में एक नाबालिग लड़की से बलात्कार के आरोप में जोधपुर जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहा है.
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश हुआ आसाराम
सोमवार को आसाराम वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश हुआ. आसाराम की पत्नी कोर्ट में पेश नहीं हो सकी, क्योंकि वो खराब स्वास्थ्य के कारण सूरत के एक अस्पताल में भर्ती है. आसाराम की बेटी भी समय पर नहीं पहुंच सकी, इसलिए अदालत को फैसला सुनाने के लिए इंतजार करना पड़ा. कोर्ट की पूरी कार्यवाही द कमरे में हुई, रिकॉर्ड पर मौजूद वकीलों के अलावा किसी भी व्यक्ति को अदालत कक्ष के अंदर जाने की अनुमति नहीं थी.
2014 में दायर हुआ था आरोप पत्र
सुनवाई के दौरान विशेष अभियोजक आर सी कोडेकर ने 68 गवाहों का परीक्षण किया. वहीं आसाराम ने आरोपों को अपने खिलाफ आपराधिक साजिश करार दिया. बता दें कि सूरत की रहने वाली एक महिला ने अक्टूबर 2013 में आसाराम और सात अन्य के खिलाफ बलात्कार और अवैध तरीके से कैद रखने का आरोप लगाते हुए मामला दर्ज कराया था. एक आरोपी की मुकदमा लंबित रहने के दौरान मौत हो गई. जुलाई 2014 में मामले में आरोप पत्र दायर किया गया था.