बेनामी लेनदेन मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले की समीक्षा की मांग वाली याचिका पर केंद्र सरकार ने खुली अदालत में सुनवाई की मांग की है।
केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा की पीठ से अनुरोध किया कि मामले की को ध्यान में रखते हुए पुनर्विचार याचिका पर खुली अदालत में सुनवाई की जाए। उन्होंने कहा, इस फैसले के कारण कई आदेश पारित किए जा रहे हैं जबकि बेनामी कानून के कुछ प्रावधानों को चुनौती तक नहीं दी गयी है। केंद्र की याचिका के जवाब में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि हम इस पर विचार करेंगे।
बीते साल कुछ प्रावधान किए गए थे रद्द
बता दें, बीते साल अगस्त में शीर्ष अदालत ने बेनामी कानून के कुछ प्रावधानों को रद्द कर दिया था। इनमें से एक प्रावधान के तहत बेनामी लेनदेन में शामिल होने पर तीन साल की अधिकतम जेल की सजा या जुर्माना या दोनों सजा दी जा सकती थी। शीर्ष अदालत ने इस प्रावधान को असंवैधानिक करार दिया था। कोर्ट ने यह भी कहा था कि बेनामी लेनदेन (निषेध) कानून, 1988 की धारा 3(2) और धारा 5 अस्पष्ट तथा मनमानी है।
बता दें, बीते साल अगस्त में शीर्ष अदालत ने बेनामी कानून के कुछ प्रावधानों को रद्द कर दिया था। इनमें से एक प्रावधान के तहत बेनामी लेनदेन में शामिल होने पर तीन साल की अधिकतम जेल की सजा या जुर्माना या दोनों सजा दी जा सकती थी। शीर्ष अदालत ने इस प्रावधान को असंवैधानिक करार दिया था। कोर्ट ने यह भी कहा था कि बेनामी लेनदेन (निषेध) कानून, 1988 की धारा 3(2) और धारा 5 अस्पष्ट तथा मनमानी है।