सातों दिन अलग-अलग देवी-देवता को समर्पित हैं और आज यानि शनिवार के दिन भगवान शनिदेव का पूजन किया जाता है. शनिदेव को कर्मों का देवता कहा जाता है क्योंकि वह लोगों को कर्मों के अनुसार फल प्रदान करते हैं और अगर किसी व्यक्ति पर शनिदेव की बुरी नजर पड़ जाए तो उसे कई कष्टों का सामना करना पड़ता है।
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शनिदेव की महादशा से बचने के लिए शनिवार की शाम को सूर्यास्त के बाद शनि मंदिर में जाकर सरसों के तेल का दीपक जलाएं. दीपक में काले तिल के कुछ दाने अवश्य डालें. ऐसा करने से भगवान शनिदेव प्रसन्न होते हैं।
अगर आप अपने जीवन में आ रहे कष्टों से छुटकारा पाना चाहते हैं तो शनिवार को सूर्यास्त के बाद पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं. ध्यान रखें कि पीपल के पेड़ के नीचे आटे का चौमुखी दीपक जलाना बेहद ही लाभकारी साबित होता है।
मान्यता है कि शनिवार के दिन कुत्ते की सेवा करने से भी भगवान शनिदेव प्रसन्न होते हैं. इसलिए शनिवार के दिन काले रंग को कुत्ते को सरसों के तेल से चुपड़ी हुई रोटी खिलानी चाहिए।
मान्यताओं के अनुसार भगवान शनिदेव को लोबान अति प्रिय है और इसलिए शनिवार की रात को घर में लोबान जलाएं. कहते हैं कि इसे धुएं के साथ घर में मौजूद सारी नकारात्मकता बाहर चली जाती है और घर के लोगों की सेहत भी बेहतर होती है।