न्यायिक या पुलिस कस्टडी में बंद महिला का वर्जिनिटी टेस्ट करना संविधान के खिलाफ है। ये कहना है दिल्ली हाईकोर्ट का।
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सिस्टर अभया 27 मार्च 1992 को 18 साल की उम्र में केरल के कोट्टायम के सेंट पियस एक्स कॉन्वेंट हॉस्टल के कुएं में मृत पाई गई थीं। उनकी हत्या के आरोप में फादर कोट्टूर और सिस्टर सेफी को स्पेशल CBI कोर्ट ने दिसंबर 2020 में उम्रकैद की सजा सुनाई थी।
चार्जशीट में CBI ने कहा था
जुलाई 2009 में दाखिल की गई चार्जशीट में CBI ने कहा था कि अभया ने सेफी, कोट्टूर और जोस पूथरुकायिल को आपत्तिजनक हालत में देख लिया था। अपना राज खुलता देखकर सेफी ने मौके पर ही कुल्हाड़ी से अभया पर वार किया और फिर तीनों आरोपियों ने मिलकर अभया की बॉडी को कुएं में फेंक दिया था।
हर इंसान के मौलिक आत्मसम्मान को बनाए रखना जरूरी
मंगलवार को दिल्ली हाईकोर्ट ( highcourt) जस्टिस स्वर्ण कांत शर्मा ने कहा कि कस्टडी में रखे गए हर इंसान के मौलिक आत्मसम्मान को बनाए रखना जरूरी है, लेकिन इस केस( case) में इसका अनादर किया गया है। हाईकोर्ट ने सिस्टर सेफी को अनुमति दी है ।