कांकेर । विकासखंड अंतागढ़ के ग्राम पंचायत टेमरूपानी में आदिवासी समुदाय ने हर्षोल्लास से हेसा कोडिंग पंडुम महोत्सव मनाया । महोत्सव में क्षेत्रीय विधायक अनूप नाग भी शामिल हुए । इस मौके पर समुदाय ने क्षेत्र में विशाल रैली निकाली और तुमिरहुर्र में स्थित बूढ़ा देव सहित अन्य देवी देवताओं का पारंपरिक तरीके से पूजन किया। विधायक नाग ने भी रीति रिवाज एवं पारंपरिक तरीके से देवी देवताओं का पूजन किया ।
बतादे पोड़दगुमा तादो के आंगन में सात भाई ( अनु. जनजाति एवं पिछड़ा वर्ग ) के ईष्ट पेन पुरखा का वार्षिक हेषा कोडिंग ( पंडुम ) महोत्सव नार्र टेमरूपानी में बस्तर संभाग भर के छड़ीदार, सिरदार, गुनिया, सेवादार, पेन माझियों में नए ऊर्जा आदिम संस्कृति पेन पुरखा के प्रति संचारण का आयोजन किया गया । इसमें हेसा कोडिंग ( पंडुम ) में पुरे बस्तर संभाग से समस्त पेन शक्तियों का समागम भी हुआ ।
हम आदिवासी प्रकृति पूजक है :- नाग
विधायक नाग ने इस दौरान कहा की “हम आदिवासी प्रकृति पूजक है, यह बात प्रमाणित कैसे होगी यह प्रमाणित होगी हमारी पंडुम व्यवस्था से। क्योंकि हमारे पंडुम प्रकृति व विज्ञान सम्मत है। जिसमें उनके संरक्षण, संवर्धन व रख रखाव का नियम निहित है। बाहरी आडंबरो व दिखावे से कोसो दूर, हमारे सात पंडुम में से एक हेसा कोडिंग पंडुम महोत्सव है। उन्होंने कहा हमारे महान वैज्ञानिक सियानो की बनाई इस महान व्यवस्था पर मुझे और पूरे समाज को गर्व है ।
प्रकृति में अनंत समय तक बनाये रखने के लिए पूर्वजो द्वारा अर्जित ज्ञान
नाग ने आगे कहा “हमारे पुरखों ने प्रकृति मे मानव जीवन को सुखमय जीवन जीने के लिए मौसम आधारीत आने वाले फल, फूल, पेड़ पौधे आदि को प्रकृति में अनंत समय तक बनाये रखने के लिए पूर्वजो द्वारा अर्जित ज्ञान के मद्देनजर हेसा कोडिंग पंडुम को मना कर आने वाली नई पीढ़ी को एक शिक्षा दी जाती है ताकि वो प्राकृतिक के संतुलन को बनाए रखे ।
हमारी आदिवासी परंपराएं अनूठी और रोचकता से भरपूर :- विधायक
नाग ने आगे कहा की हमारे बस्तर क्षेत्र की आदिवासी परंपराएं अनूठी और रोचकता से भरपूर हैं। हमारे रहन- सहन और तीज- त्यौहार आज भी प्रकृति के करीब हैं। यहां शहरों की तरह त्यौहारों की रौनक तो नहीं रहती लेकिन उल्लास और उत्साह भरा होता है। हमारे आदिवासी भाई बहन अपनी खुशियों को सामूहिक तौर पर मनाते हैं जिसे स्थानीय बोली में पंडुम (पर्व) कहा जाता है। अलग- अलग सीजन में अलग अलग पंडुम होते हैं। शहरी प्रभाव में नगरीय और कस्बाई इलाकों में भले ही होली- दीवाली और दशहरा मनाया जाता है पर ग्रामीण इलाकों में इनकी मान्यता और परंपराएं आज भी बरकरार हैं।
देवस्थल के लिए विधायक ने की कई घोषणाएं
विधायक नाग ने इस दौरान ग्रामीणों की मांग पर देवस्थल ( मंदिर प्रांगण ) में शेड निर्माण, मंदिर प्रांगण में पेयजल आपूर्ति के लिए बोरिंग निर्माण और उईके समाज को सामूहिक कार्यक्रमों के सफल आयोजनों के लिए बर्तन सेट प्रदान करने की घोषणा किए।
इनकी रही मौजूदगी
दसरथ उइके, चन्दन उइके, सुरजू उइके, हरि उइके, लालसाय उइके, अमरो उइके, इंद्रा उइके समेत भारी संख्या में आदिवासी समाज के लोग मौजूद थे।