मध्य प्रदेश विधानसभा (Madhya Pradesh Legislative Assembly) में अब याचिका शब्द का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा. इस शब्द की जगह अब आवेदन लिखा गया है. मध्य प्रदेश की विधानसभा में वर्षों पुराने इस शब्द पर अब रोक लगा दी गई है. अब समस्याओं के निराकरण के लिए आमजन याचिका नहीं बल्कि आवेदन लगाएंगे. इसके लिए विधानसभा के स्थाई आदेश में संशोधन किया गया है. इससे जुड़ी समिति का नाम पहले ही बदला जा चुका है. इसी के साथ विधानसभा में सामंती शब्द का समापन हो गया.
सम्मानजनक नहीं याचक शब्द
मध्य प्रदेश विधानसभा में याचिका और अभ्यावेदन समिति वर्षों से है. इसका नाम पहले ही अभ्यावेदन समिति किया जा चुका है, लेकिन विधानसभा अध्यक्ष के स्थाई आदेश में कुछ स्थानों पर याचिका शब्द का जिक्र था. इसलिए अब यहां से भी इस शब्द को हटा दिया गया है. इसको हटाने के पीछे ये तर्क दिया गया है कि आमजन अपना प्रतिनिधि चुनकर भेजते है. ऐसे में यहां आमजन की आवाज उठाने को याचिका कैसे कहा जा सकता है. वर्तमान हालात में यह सम्मानजनक शब्द नहीं है.
आमजन को यूं दिया सम्मान
मध्य प्रदेश की विधानसभा में याचक शब्द को प्रतिबंधित करते हुए उसे बंद कर दिया गया है. इसे बंद करने के पीछे ये तर्क दिया गया है कि जनता को अपनी समस्याओं के निराकरण के लिए याचना नहीं करनी चाहिए. इसलिए याचना नहीं अब आवेदन शब्द का प्रयोग होगा. वैसे भी लोकतंत्र का मतलब, जनता के माध्यम से शासन होता है. किसी विधानसभा क्षेत्र में यदि स्कूल खोलने, सड़क बनाने और सामुदायिक केन्द्र के निर्माण जैसे काम कराए जाने के लिए विधायक याचिका लगाते थे, लेकिन नई व्यवस्था के तहत अब ये आवेदन माने जाएंगे.