भारतीय रेलवे( indian railway) से जुड़ी कई ऐसी बातें हैं जिससे ज्यादातर लोग अंजान हैं. इनमें से ही एक है अलग-अलग रंगों की धारियां जो ट्रेन के अलग-अलग डिब्बों पर पेंट की जाती हैं. कई बार ये धारियां अलग-अलग डिब्बों पर अलग रंग की होती हैं और इनमें कुछ संदेश छिपा होता है।
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रेलवे हमेशा अपने यात्रियों( passenger) के लिए आसान और सुखद यात्रा प्रदान करना चाहता है. इसका ही हिस्सा है ट्रेनों पर बनी अलग-अलग रंग की धारियां. इसलिए यात्री इसे आसानी से पहचान लेते हैं,।
बात हरे रंग की ( green)
हरे रंग की धारियों वाले ग्रे कोच यह संकेत देते हैं कि वे महिलाओं के लिए आरक्षित हैं।
ग्रे( grey) कोचों पर
ग्रे कोचों पर लाल धारियां इंगित करती हैं कि वे ईएमयू/एमईमू ट्रेनों में प्रथम श्रेणी के डिब्बे हैं।
एलएचबी स्लीपर कोच डिफ़ॉल्ट( default) रूप से लाल रंग
राजधानी श्रृंखला की एक्सप्रेस ट्रेनों का संचालन किया जाता है. वे पूरी तरह से वातानुकूलित ट्रेनें हैं जिनमें एलएचबी स्लीपर कोच डिफ़ॉल्ट रूप से लाल रंग के होते हैं, जिन्हें राजधानी लिवरिड कहा जाता है. पहले लाल रंग का इस्तेमाल राजधानी एक्सप्रेस ट्रेनों में ही किया जाता था।
ट्रेन के नीले ( blue)और लाल( red) डिब्बों पर चौड़ी पीली पट्टियां पेंट
ट्रेन के नीले और लाल डिब्बों पर चौड़ी पीली पट्टियां पेंट की जाती हैं, जिससे पता चलता है कि कोच शारीरिक रूप से अक्षम यात्रियों के लिए तैयार किए गए हैं।
सामान्य डिब्बों की पहचान
विशेष ट्रेन के अनारक्षित द्वितीय श्रेणी के डिब्बों को दर्शाने के लिए नीले रंग के रेलवे कोचों पर सफेद पट्टियां पेंट की जाती हैं. इन पट्टियों की मदद से यात्री सामान्य डिब्बों की पहचान आसानी से कर सकते हैं.