राजिम। माघी पुन्नी मेला के दूसरे रविवार को देखते ही देखते जनसैलाब उमड़ गया। हर तरफ भीड़ देखी जा रही थी। चाहे वह मीना बाजार, मंदिर, संगम नदी हो या फिर महोत्सव मंच। सांस्कृतिक कार्य को देखने के लिए तो दर्शक टूट पड़े थे। चूंकि बीते रविवार को माघ पूर्णिमा के दिन से मेला की शुरूआत हुई और अब मेला अपने पूरी शबाब पर है। जानकारी के मुताबिक यह भीड़ प्रतिदिन महाशिवरात्रि तक बढ़ती ही जायेगी। उल्लेखनीय है कि धर्म क्षेत्र राजिम तीन जिला गरियाबंद, रायपुर, धमतरी से जुड़ा हुआ हैं। दो बड़े शहर राजिम और नवापारा इसके तट पर बसा हुआ है
राजिम। माघी पुन्नी मेला के दूसरे रविवार को देखते ही देखते जनसैलाब उमड़ गया। हर तरफ भीड़ देखी जा रही थी। चाहे वह मीना बाजार, मंदिर, संगम नदी हो या फिर महोत्सव मंच। सांस्कृतिक कार्य को देखने के लिए तो दर्शक टूट पड़े थे। चूंकि बीते रविवार को माघ पूर्णिमा के दिन से मेला की शुरूआत हुई और अब मेला अपने पूरी शबाब पर है। जानकारी के मुताबिक यह भीड़ प्रतिदिन महाशिवरात्रि तक बढ़ती ही जायेगी। उल्लेखनीय है कि धर्म क्षेत्र राजिम तीन जिला गरियाबंद, रायपुर, धमतरी से जुड़ा हुआ हैं। दो बड़े शहर राजिम और नवापारा इसके तट पर बसा हुआ है
पहुंच रहें देश भर से श्रध्दालु
माघी पुन्नी मेला की धमक न सिर्फ छत्तीसगढ़ तक सीमित है बल्कि देश-विदेश में इनकी ख्याति आज भी बरकरार है मेला देखने आये रायगढ़ के 70 वर्षीय झुमुक लाल ने बताया कि मोहल्ले में बहुत से लोगों को मैने मेला जाने की जिद करते रहें लेकिन कोई तैयार नहीं हुआ। बोले अगले सप्ताह जायेंगे मै ज्यादा इंतजार नहीं कर सकता था इसलिए अकेला चला आया। मध्यप्रदेश के दीपमाला महाराष्ट्र के तान्या, बबल,ु दीपेश, मोहनीश अपने परिवार के साथ में भगवान राजीवलोचन का दर्शन किये और वह अत्यधिक प्रसन्न है। देश के कोने-कोने से श्रध्दालुगण बड़ी संख्या में पहुंच रहें है।
लक्ष्मण झुला श्रध्दालुओं की पहली पसंद
लक्ष्मण झुला श्रध्दालुओं की पहली पसंद
मेले में आने वाले प्रत्येक श्रध्दालुओ की लक्ष्मण झुला पहली पसंद बन गयी है। यह पहला मौका है कि मेले पर लोग सीधे लक्ष्मण झुला से होकर संगम के मध्य स्थित महादेव के मंदिर पहुंच रहे है। जानकारी के मुताबिक क्षमता से अधिक न हो इसलिए दोनों ओर सुरक्षा गार्ड तैनात किए गये है। प्रवेश एवं निर्गमन द्वार को छोटा किया गया है। ताकि ज्यादा भीड़ न हो पाये। करीब 33 करोड़ की लागत से बने लक्ष्मण झुला की लम्बाई 610 मीटर है। आर्च की ऊंचाई से सुंदरता बढ़ गयी है। रात्रि में लाइट की रोशनी से जगमगा उठता है अधिकतर परिवार के साथ में लोग लुफ्त उठा रहें है।
मेले में आने वाले प्रत्येक श्रध्दालुओ की लक्ष्मण झुला पहली पसंद बन गयी है। यह पहला मौका है कि मेले पर लोग सीधे लक्ष्मण झुला से होकर संगम के मध्य स्थित महादेव के मंदिर पहुंच रहे है। जानकारी के मुताबिक क्षमता से अधिक न हो इसलिए दोनों ओर सुरक्षा गार्ड तैनात किए गये है। प्रवेश एवं निर्गमन द्वार को छोटा किया गया है। ताकि ज्यादा भीड़ न हो पाये। करीब 33 करोड़ की लागत से बने लक्ष्मण झुला की लम्बाई 610 मीटर है। आर्च की ऊंचाई से सुंदरता बढ़ गयी है। रात्रि में लाइट की रोशनी से जगमगा उठता है अधिकतर परिवार के साथ में लोग लुफ्त उठा रहें है।
मौत का कुआं में करतब देखने लगी लंबी लाइन
मीना बाजार मेलार्थियों से गुलजार रहा। सुबह 11 बजे से लोगों के आने जाने का क्रम शुरू हुआ। अपरान्ह 2 बजे तक अच्छी खासी भीड़ देखी गयी। शाम तक तो धक्का खाने की स्थिति निर्मित हो गयी थी। चप्पे-चप्पे पर तैनात पुलिस के जवान ने व्यवस्था संभाली। मौत का कुंआ में एक साथ बाईक एवं कार के द्वारा किये जाने वाले करतब दर्शकों को हैरत में डाल देती है। रेंजर झुला, आकाश झुला, डिस्को झुला, थ्री डी कोस्टर झुला के साथ मिठाई दुकानें, लोहे की दुकान कपड़े तथा वाद्ययंत्र की दुकाने आदि पर भीड़ बनी रहीं।
मीना बाजार मेलार्थियों से गुलजार रहा। सुबह 11 बजे से लोगों के आने जाने का क्रम शुरू हुआ। अपरान्ह 2 बजे तक अच्छी खासी भीड़ देखी गयी। शाम तक तो धक्का खाने की स्थिति निर्मित हो गयी थी। चप्पे-चप्पे पर तैनात पुलिस के जवान ने व्यवस्था संभाली। मौत का कुंआ में एक साथ बाईक एवं कार के द्वारा किये जाने वाले करतब दर्शकों को हैरत में डाल देती है। रेंजर झुला, आकाश झुला, डिस्को झुला, थ्री डी कोस्टर झुला के साथ मिठाई दुकानें, लोहे की दुकान कपड़े तथा वाद्ययंत्र की दुकाने आदि पर भीड़ बनी रहीं।
गाड़ियों का रूट बदला
भीड़ को देखते हुए गाड़ियों का रूट बदला गया है। इस बार पार्किंग के लिए राजिम पहुंचने वाले प्रत्येक सड़कों पर व्यवस्था की गयी है। राजिम पुल के बीच में बैरीकेट्स लगाकर आने जाने के लिए डिवाइड किया गया है। चार पहियां वाहनों को बाहर से होकर निकाली जा रही थी। रायपुर से पहुंचने वाली गाड़िया नवापारा से होते हुए बेलाही पुल, चौबेबांधा से होकर जिला मुख्यालय गरियाबंद जाने की व्यवस्था की गई है। यात्री गाड़ियां में खचाखच भीड़ रही। रायपुर, महासमुन्द, गरियाबंद, धमतरी से राजिम आने वाले बसे ठसाठस रहीं। हर दस-दस मिनट में टै्रफिक जाम की स्थिति निर्मित होती रही। नवापारा बस स्टैण्ड से लेकर चंपारण चौंक, मैडम चौक, राजिम पुल, पं. श्यामाचंरण शुक्ला चौक, पं. सुंदरलाल शर्मा चौक, सुभाष चौक, महासमुंदर मार्ग पर शिवाजी चौक, श्रीराम चौक, मंडी चौक, गरियाबंद राष्ट्रीय राजमार्ग पर गोवर्धन चौक, महामाया चौक, राजिम भक्तिन माता चौक, चौबेबांधा तिराहा आदि पर ऐसी भीड़ी पहली बार देखी गई। पांच मिनट के रास्ते ने एक घंटे से भी ज्यादा समय लगा। करीब एनएच मार्ग पर पांच किलोमीटर की दूरी तक भीड़ ही नजर आती रही। जिन्हें संभालने के लिए पुलिस को खूब मशक्कत करनी पड़ी।
भीड़ को देखते हुए गाड़ियों का रूट बदला गया है। इस बार पार्किंग के लिए राजिम पहुंचने वाले प्रत्येक सड़कों पर व्यवस्था की गयी है। राजिम पुल के बीच में बैरीकेट्स लगाकर आने जाने के लिए डिवाइड किया गया है। चार पहियां वाहनों को बाहर से होकर निकाली जा रही थी। रायपुर से पहुंचने वाली गाड़िया नवापारा से होते हुए बेलाही पुल, चौबेबांधा से होकर जिला मुख्यालय गरियाबंद जाने की व्यवस्था की गई है। यात्री गाड़ियां में खचाखच भीड़ रही। रायपुर, महासमुन्द, गरियाबंद, धमतरी से राजिम आने वाले बसे ठसाठस रहीं। हर दस-दस मिनट में टै्रफिक जाम की स्थिति निर्मित होती रही। नवापारा बस स्टैण्ड से लेकर चंपारण चौंक, मैडम चौक, राजिम पुल, पं. श्यामाचंरण शुक्ला चौक, पं. सुंदरलाल शर्मा चौक, सुभाष चौक, महासमुंदर मार्ग पर शिवाजी चौक, श्रीराम चौक, मंडी चौक, गरियाबंद राष्ट्रीय राजमार्ग पर गोवर्धन चौक, महामाया चौक, राजिम भक्तिन माता चौक, चौबेबांधा तिराहा आदि पर ऐसी भीड़ी पहली बार देखी गई। पांच मिनट के रास्ते ने एक घंटे से भी ज्यादा समय लगा। करीब एनएच मार्ग पर पांच किलोमीटर की दूरी तक भीड़ ही नजर आती रही। जिन्हें संभालने के लिए पुलिस को खूब मशक्कत करनी पड़ी।