राजिम। माघी पुन्नी मेला में सातवें दिन मुख्य मंच से एक से बढ़कर एक प्रस्तुति छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध कलाकरों ने दी। मंच पर कलाकारों ने नृत्य से लेकर लोकरंग की शानदार प्रस्तुति दी। सांस्कृतिक कार्यक्रमों को सुनने अंत तक दर्शक जुटे रहे।
मंच पर शनिवार को लोकमंच रायपुर के कलाकार गोरेलाल बर्मन ने अपनी प्रस्तुति से दर्शकों का भरपूर मनोरंजन किया। उन्होंने तोला बंधव दाई से शुरुआत करते हुए एक से बढ़कर एक गीतों की प्रस्तुति दी। इनकी प्रस्तुतियों का जादू ऐसा था कि दर्शक दीर्घा से वाह वाह की आवाज गूंजती रही। गोरेलाल बर्मन ने कोसा के साड़ी पहिराहुं तोला ओ और मोर नाम के गोदना गोदा ले ओ के जरिए आखिरी समय तक दर्शकों को बांधे रखा।
शनिवार को सांस्कृतिक कार्यक्रम देखने दर्शकों का जनसैलाब उमड़ पड़ा। मंच पर जैसे ही गोरेलाल बर्मन का आगमन हुआ। दर्शकों ने तालियों के साथ स्वागत किया। गोरेलाल बर्मन ने पहली प्रस्तुति तोला बंदव वो दाई…. के साथ प्रारंभ की। इसी क्रम में गुरू घासीदास का वंदना करते हुए पंथी नृत्य प्रस्तुत किया। छत्तीसगढ़ के राज्यगीत अरपा पैरी के धार का गायन गोरेलाल बर्मन ने बड़े सम्मान के साथ प्रस्तुति किया। अगली कड़ी में छत्तीसगढ़ के लोकगीत करमा का जादू डारे…. रही रही तोर सुरता आथे.. इन गीतों ने तो दर्शकों को झूमने के लिये मजबूर कर दिया। सुर श्रृंगार की सबसे प्रसिद्ध गीत भाजी तोडे़ आबे न…. बैठे हुए दर्शक गुनगुनाने लगे। नैना समुद्र प्रीत मया के….. इस गीत के साथ मोर नाव के गोदना गोदाले गोरी हाथ में….ये गीत से खचाखच दर्शकों से भरे मंच के सामने झूमते दिखाई दे रहे थे। इसी के साथ कोसा के सारी पहिराहुं तोला ओ… की प्रस्तुति में दर्शक अपने जगह पर नाचने लगे। इसके पूर्व सांस्कृतिक मंच में लोकसंध्या घनश्याम साहू ने गणेश वंदना के साथ प्रस्तुति दी। उसके बाद देश भक्ति गीत, मोर बर ले दे न राजा लाली लुगरा…. के अलावा एक से बढ़कर कार्यक्रम की प्रस्तुति दी। कलाकरों का सम्मान स्थानीय जनप्रतिनिधियों, केन्द्रीय समिति के सदस्यों द्वारा किया गया। कार्यक्रम का संचालन मनोज सेन, निरंजन साहू ने किया।
शनिवार को सांस्कृतिक कार्यक्रम देखने दर्शकों का जनसैलाब उमड़ पड़ा। मंच पर जैसे ही गोरेलाल बर्मन का आगमन हुआ। दर्शकों ने तालियों के साथ स्वागत किया। गोरेलाल बर्मन ने पहली प्रस्तुति तोला बंदव वो दाई…. के साथ प्रारंभ की। इसी क्रम में गुरू घासीदास का वंदना करते हुए पंथी नृत्य प्रस्तुत किया। छत्तीसगढ़ के राज्यगीत अरपा पैरी के धार का गायन गोरेलाल बर्मन ने बड़े सम्मान के साथ प्रस्तुति किया। अगली कड़ी में छत्तीसगढ़ के लोकगीत करमा का जादू डारे…. रही रही तोर सुरता आथे.. इन गीतों ने तो दर्शकों को झूमने के लिये मजबूर कर दिया। सुर श्रृंगार की सबसे प्रसिद्ध गीत भाजी तोडे़ आबे न…. बैठे हुए दर्शक गुनगुनाने लगे। नैना समुद्र प्रीत मया के….. इस गीत के साथ मोर नाव के गोदना गोदाले गोरी हाथ में….ये गीत से खचाखच दर्शकों से भरे मंच के सामने झूमते दिखाई दे रहे थे। इसी के साथ कोसा के सारी पहिराहुं तोला ओ… की प्रस्तुति में दर्शक अपने जगह पर नाचने लगे। इसके पूर्व सांस्कृतिक मंच में लोकसंध्या घनश्याम साहू ने गणेश वंदना के साथ प्रस्तुति दी। उसके बाद देश भक्ति गीत, मोर बर ले दे न राजा लाली लुगरा…. के अलावा एक से बढ़कर कार्यक्रम की प्रस्तुति दी। कलाकरों का सम्मान स्थानीय जनप्रतिनिधियों, केन्द्रीय समिति के सदस्यों द्वारा किया गया। कार्यक्रम का संचालन मनोज सेन, निरंजन साहू ने किया।