Reading:आरू साहू और दिलीप षड़ंगी को देखने सुनने उमड़ा बेतहाशा भीड,आमा पान के पतरी अऊ चैत के महिना में आबे दाई इस गीत ने तो दर्शकों को झूमने में मजबूर कर दिया
राजिम। आरू साहू और दिलीप षड़ंगी की प्रस्तुति ने ऐसा धूम मचाया कि दर्शको को झूमने पर मजबूर हो गए। नदी में लम्बे चौड़े भू भाग होने के बाद भी दर्शक दीर्घा में पैर रखने की जगह नही थी। यहां तक कि मेला क्षेत्र में लगे 7 एलईडी में देखने सुनने हजारो भीड़ लगी रही। उनके गानों की दीवानगी की खुमारी दर्शको में बखूबी देखने को मिला।
मंच पर छत्तीसगढ़ की उभरती गायिका आरू साहू ने राम सिया राम.. जय जय राम गाकर मंच को राममय कर दिया। सभी दर्शक रामनाम की माला जपने लगे। हो माई झुपत-झुपत… इस गीत सुनकर दर्शक आनंदित हो उठे। छŸासगढ़ में होने वाली परंपरागत त्यौहारों को गीत के माध्यम से प्रस्तुत किया गया। जिसमें सुआ नृत्य, गौरा गौरी और राउत नाचा इनको देखकर दर्शकों को एक समय ऐसा लगा कि त्यौहार अभी आने वाला है। आरू की अगली प्रस्तुति छŸासगढ़िया सबले बढ़िया… मेरे भारत का बच्चा-बच्चा जय श्रीराम बोलेगा… ये गीत को गाने के लिए आरू मंच के नीचे आ गई और श्रोता के साथ गीत को गाने लगी। हर-हर शंभू-शंभू ने तो और भी धमाल मचा दिया। मोर अंगना म गड़े हे जैतखाम गीत ने घुरूघासी दास के संदेश को जन-जन तक पहुंचाया। मोर से नैना मिलाके… इस गीत ने दर्शकों को रोमांचित कर दिया। कार्यक्रम के दूसरे कड़ी में जगराता के सम्राट दिलीप षडंगी ने जसगीत और छत्तीसगढ़ी गीत प्रस्तुत कर दर्शकों को झमने पर मजबूर कर दिया। उन्होंने अपनी शुरूआत हम उस देश के वासी है जिसे देश में गंगा बहती है….. आदमी हूं आदमी से प्यार करता हूं… गीत की प्रस्तुति दी। जिसे सुनकर दर्शकों में भी आत्मीयता जाग उठी। नमो नमो जगदम्बे… मंच पर जैसे ही इसकी प्रस्तुति हुई। मंच पर भोलेनाथ व मां पार्वती की वेशभूषा पहने कलाकरों ने शानदार प्रस्तुति दी। घर-घर दीया माता घर-घर बाती ओ… कोरी-कोरी नारियर चढ़े दाई मोर…. चैत के महिना आबे दाई…. आमा पान के पतरी करेला पान के दोना…. मांदर बाजे रे …. ऐसे मनमोहक गीतों की प्रस्तुति ने दर्शकों को ठंडी मौसम में भी आनंद लेते रहे। कलाकारों का सम्मान छत्तीसगढ़ विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत, पर्यटन मंत्री ताम्रध्वज साहू ने स्मृति चिन्ह भेंटकर किया।