ग्रैंड न्यूज़ डेस्क। Phulera Dooj 2023 : आज फुलेरा दूज का पर्व मनाया जाएगा। यह पर्व हर वर्ष फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। फुलेरा दूज का हिंदू धर्म में काफी महत्व है। यह त्योहार भगवान श्रीकृष्ण की नगरी मथुरा में काफी धूमधाम से मनाया जाता है. फुलेरा दूज पर भगवान कृष्ण और राधा रानी की पूजा की जाती है. यह पर्व श्रीकृष्ण और राधा के प्रेम का प्रतीक है. इस दिन कोई भी शुभ कार्य करना काफी फलदायी माना जाता है. मान्यता है कि इस दिन से भगवान कृष्ण ने फूलों की होली खेलनी शुरू की थी। यही कारण है कि मथुरा-वृंदावन समेत पूरे ब्रज में फुलेरा दूज से ही होली मनाई जाने लगती है, वहीं ब्रज में इस दिन भगवान श्रीकृष्ण के साथ फूलों की होली खेली जाती है। राधे-कृष्ण पर जमकर फूल बरसाए जाते हैं। फुलेरा काफी पुण्य तिथि मनाई जाती है और इसलिए इस दिन बड़ी संख्या में शादियां होती हैं और यह तिथि किसी भी तरह के नकारात्मक प्रभाव और दोषों से प्रभावित नहीं होती है।
फुलेरा दूज का शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, फुलेरा दूज फाल्गुन माह में शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है. इस साल फुलेरा दूज की तिथि की शुरुआत 21 फरवरी 2023 मंगलवार को सुबह 09 बजकर 04 मिनट पर हो रही है और इसका समापन 22 फरवरी 2023 को सुबह 05 बजकर 57 मिनट पर होगा. उदयातिथि के अनुसार, इस साल फुलेरा दूज 21 फरवरी 2023 यानी मंगलवार को मनाई जाएगी. इस दिन भगवान कृष्ण और राधा रानी की पूजा गोधूली मुहूर्त में ही की जाएगी. इस दिन गोधूली मुहूर्त की शुरुआत शाम 06 बजकर 13 मिनट से लेकर शाम 06 बजकर 38 मिनट तक रहेगी.
फुलेरा दूज का महत्व
फुलेरा दूज के दिन श्रीकृष्ण और राधा रानी की पूजा का विधान है. फुलेरा दूज का त्योहार ब्रज में मुख्य रूप से मनाया जाता है. इस दिन श्रीकृष्ण और राधा रानी के साथ फूलों की होली खेली जाती है और माखन मिश्री का भोग लगाया जाता है. फुलेरा दूज किसी शुभ कार्य जैसे सगाई या विवाह के लिए सर्वोत्तम माना जाता है.
फुलेरा दूज की सावधानियां
वैसे तो यह पूरा दिन ही बेहद शुभ है लेकिन पूजा के लिए फुलेरा दूज के दिन गोधुली मुहूर्त सबसे अच्छा है. पूजा के समय रंगीन और साफ कपड़े पहनें. प्रेम संबंधों में सुधार के लिए पूजा कर रहे हैं तो गुलाबी कपड़े पहनें. वैवाहिक जीवन में आ रही परेशानियों को खत्म करने के लिए पूजा कर रहे है तो पीले रंग के कपड़े पहनें. पूजा के बाद सात्विक भोजन ही ग्रहण करें।