हर वर्ष 3 मार्च को विश्व श्रवण दिवस यानी वर्ल्ड हियरिंग डे मनाया जाता है। इसी कड़ी में आज स्वास्थ विभाग की टीम और शिवम् कॉलेज नर्सिंग स्टाफ़ के बच्चों के द्वारा बस स्टेन परिसर पर नुक्कड़ नाटक का मंचन कर लोगो को कान से सम्बंधित समस्याओं से जागरूक करने की कोशिश की गई.

नुक्कड़ नाटक कर मनाया विश्व श्रवण दिवस

स्वास्थ विभाग की टीम के साथ शिवम् नर्सिंग कॉलेज के स्टूडेंट्स ने भाग नुक्कड़ नाटक में लिया. नुक्कड़ में जीवन भर आपके कान सही तरीके से काम करें, इसके लिए सुरक्षित तरीके से सुनने के माध्यम से सुनने की हानि की रोकथाम के महत्व और साधनों पर ध्यान केंद्रित किया गया. इसके अलावा संचार एक मौलिक मानव अधिकार है और जो लोग इस विकार और कठिनाइयों से गुज़रते हैं, उनके लिए समाज से जुड़ना मुश्किल हो जाता है, ये भी बताया गया कि पूरी दुनिया में 360 मिलियन लोग बहरेपन की अक्षमता से पीड़ित हैं. नुक्कड़ से लोगों को उनके अधिकारों के बारे में सीखने में मदद मिली.

विश्व श्रवण दिवस आज है।

 ध्वनि प्रदूषण के खतरों से बचाव की जानकारी लोगों को दी जाएगी। सिविल सर्जन डाक्टर हरीश चौहान ने कहा कि गाड़ी की बहुतायत, मशीनीकरण, डीजे की आवाज से ध्वनि प्रदूषण बाद रहा है। इससे मानव जीवन पर प्रतिकूल असर पड़ता है। लोगों के सुनने की क्षमता कम हो जाती है। गर्भवती महिला अगर हेडफोन से गाना सुनती है तो गर्भ में पल रहे बच्चे के लिये नुकसानदेह साबित हो सकता है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार दुनियाभर में लगभग पांच प्रतिशत ऐसे लोग हैं, जिन्हें कम सुनाई देता या फिर वह पूरी तरह से बहरेपन का शिकार हैं। हालांकि इस तरह का मामला 65 वर्ष की आयु से ऊपर के बुजुर्गों में आता है। महिला चिकित्सक डाक्टर शबनम यास्मिन ने बताया कि ग गर्भवती महिलाओं को तेज आवाज में गाने नहीं सुनना चाहिए। गर्भस्थ शिशुओं के दिमाग पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है। जिससे बहरेपन का खतरा मंडराने लगता है । गर्भावस्था के दौरान गर्भवती महिलाओं की हर तरह की गतिविधियों का असर होने वाले बच्चे पर पड़ता है। इसलिए महिलाओं को प्रेग्नेंसी के दिनों में अपना खास ख्याल रखना चाहिए। प्रेग्नेंसी में हेडफोन लगाकर गाने सुनना भी आपके बच्चे के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) कैंपेन आयोजित करके लोगों को बहरेपन की बढ़ रही समस्याओं के प्रति जागरूक करता है।

यह दिन मनाने का उद्देश्य लोगों को बहरेपन की समस्या के कारण और निवारण के प्रति जागरूक और सचेत करना है। इसके साथ लोगों को यह जानकारी भी दी जाती है कि वह कैसे अपने कान के स्वास्थ्य पर ध्यान दे सकते हैं। इस दिन विश्व के कोने-कोने में कई ऐसे कैंपेन और प्रोग्राम आयोजित किए जाते हैं जिससे लोग अपनी इस जरूरी ज्ञानेंद्रिय के प्रति गंभीर से ध्यान दे सकें। 

ऐसे हुई थी इस दिन को मनाने की शुरुआत

साल 2007 में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने हर साल 3 मार्च को विश्व श्रवण दिवस (World Hearing Day) मनाने की घोषणा की थी। शुरुआत में इस दिन का नाम इंटरनेशनल ईयर केयर रखा गया था। इसका उद्देश्य लोगों को बहरेपन की समस्या के कारण और उसके निवारण के प्रति जागरूक बनाना और सचेत करना है जिससे वह इस खतरे से बच सके। इसके लिए दुनियाभर के देश अपने यहां कई तरह के कार्यक्रम और कैंपेन का आयोजन करते हैं। जिनेवा में अपने मुख्यालय में, डब्लयूएचओ भी एक वार्षिक विश्व श्रवण दिवस कार्यक्रम आयोजित करता है।

विश्व श्रवण दिवस (World Hearing Day) 2023 की थीम

विश्व श्रवण दिवस हर साल एक थीम के साथ सेलिब्रेट किया जाता है। इस साल इसकी थीम है- कान और सुनने की देखभाल सभी के लिए! आइए इसे हकीकत बनाएं!
साल 2022 में वर्ल्ड हियरिंग डे की थीम थी ‘टू हियर फॉर लाइफ, लिसन विद केयर’ रखा है। इससे पहले वर्ष 2021 में विश्व श्रवण दिवस का थीम ‘हियरिंग केयर फॉर ऑल’ थी

इस कार्यक्रम में विशेष रूप से डॉ. अमन कुमार हुमने, डॉ के. के. सहारे, डॉ. मुकेश हेला…  डॉ हरीश चौहान एन कुमार साहू,  विष्णु निषाद, समस्त खण्ड चिकित्सा अधिकारी, समस्त विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी एवं अन्य अधिकारी कर्मचारी का विशेष सहयोग रहा।