ग्रैंड न्यूज़ डेस्क। IMA On Antibiotics : देश में कुछ दिनों के विभिन्न हिस्सों में खांसी और बुखार के साथ फ्लू (Flu) के लक्षण वाले मामले तेजी से बढ़े हैं. फ्लू से जूझ रहे मरीजों में कोविड जैसे ही लक्षण ही दिखाई दे रहे है. अब इसे लेकर केंद्र सरकार ने एक एडवाइजरी जारी की है. इस एडवाइजरी में बताया गया है कि लोग फ्लू से कैसे बचाव करें और क्या एहतियात बरतें. आईसीएमआर की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले दो-तीन महीनों से इन्फ्लुएंजा वायरस का एक सब-टाइप H3N2 फैल रहा है. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने शुक्रवार (3 मार्च) को एक एडवाइजरी जारी कर लोगों से एजिथ्रोमाइसिन और एमोक्सिक्लेव जैसे एंटीबायोटिक्स लेने से बचने का आग्रह किया. आईएमए के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ शरद कुमार अग्रवाल और अन्य सदस्यों ने एडवाइजरी में कहा कि जब एंटीबायोटिक की आवश्यकता नहीं होती है तो इन्हें लेने से एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस (प्रतिरोध) होता है.
डॉक्टरों ने कहा कि जब भी एंटीबायोटिक दवाओं के उपयोग की जरूरत होगी तो वे प्रतिरोध के कारण काम नहीं करेंगे. उन्होंने कहा कि हाल ही में खांसी, उल्टी, गले में खराश, बुखार, शरीर में दर्द और दस्त के लक्षण वाले रोगियों की संख्या में अचानक वृद्धि हुई है. संक्रमण आमतौर पर लगभग 5 से 7 दिनों तक रहता है. बुखार तीन दिनों में चला जाता है. खांसी तीन सप्ताह तक बनी रह सकती है.
मौसमी सर्दी या खांसी होना आम बात
एसोसिएशन का कहना है कि इन्फ्लुएंजा और अन्य वायरस के कारण अक्टूबर से फरवरी के दौरान मौसमी सर्दी या खांसी होना आम बात है. कई अन्य एंटीबायोटिक दवाओं का कुछ शर्तों के लिए दुरुपयोग किया जा रहा है और रोगियों के बीच प्रतिरोध विकसित कर रहे हैं. उदाहरण के लिए, डायरिया के 70% मामले वायरल के हैं, जिसके लिए एंटीबायोटिक दवाओं की आवश्यकता नहीं है, लेकिन डॉक्टरों की ओर से एंटीबायोटिक लेने की सलाह दी जा रही है.
एच3एन2 के कारण बढ़े खांसी-बुखार के मामले
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के विशेषज्ञों ने कहा कि भारत में पिछले दो-तीन महीने से लगातार खांसी और किसी-किसी मामले में बुखार के साथ खांसी होने का कारण ‘इन्फ्लुएंजा ए’ का उपस्वरूप ‘एच3एन2’ है.
आईसीएमआर के वैज्ञानिकों ने भी कहा कि पिछले दो-तीन महीने से व्यापक रूप से व्याप्त एच3एन2 अन्य उपस्वरूपों की तुलना में रोगी के अस्पताल में भर्ती होने का बड़ा कारण है. आईसीएमआर ‘वायरस रिसर्च एंड डायग्नोस्टिक लेबोरेटरीज नेटवर्क’ के माध्यम से श्वसन वायरस के कारण होने वाली बीमारियों पर कड़ी नजर रखे हुए है।