प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वास्थ्य और चिकित्सा अनुसंधान’ बजट के बाद के वेबिनार में कहा कि जब हम हेल्थ केयर की बात करते हैं तो इसे पूर्व कोविड युग और महामारी के बाद के युग के विभाजन के साथ देखना चाहिए। दुनिया का ध्यान पहले से कही ज्यादा अब हेल्थ केयर पर आया है. हम निरंतर यह प्रयास कर रहे हैं कि भारत की विदेशों पर निर्भरता कम से कम हो. भारत में इलाज को सस्ता बनाना हमारी सरकार की प्राथमिकता रही है।
उन्होंने कहा कि आयुष्मान भारत के तहत 5 लाख रुपये तक के मुफ्त इलाज से देश के करोड़ों मरीजों के लगभग 80 हजार करोड़ रुपये बीमारी में उपचार के लिए खर्च होने वाले थे वो बचे हैं. हमारे यहां करीब 9 हजार जन औषधि केंद्र हैं और यहां बाजार भाव से बहुत सस्ती दवाएं उपलब्ध हैं. इससे भी गरीब और मिडिल क्लास परिवारों को लगभग 20 हजार करोड़ रुपये की बचत हुई है।
पीएम ने कहा कि बीते वर्षों में 260 से अधिक नए मेडिकल कॉलेज खोले गए हैं। इससे मेडिकल सीटों की संख्या 2014 के बाद आज दोगुनी हो चुकी है। इस वर्ष के बजट में नर्सिंग क्षेत्र के विस्तार में बल दिया गया। मेडिकल कॉलेज के पास ही 157 नए नर्सिंग कॉलेज खोलना, मेडिकल ह्यूमन रिसोर्स के लिए बड़ा कदम है।
ड्रोन टेक्नोलॉजी की वजह से दवाओं की डिलीवरी और टेस्टिंग से जुड़े लॉजिस्टिक में एक क्रांतिकारी परिवर्तन आता दिख रहा है।हमारे उद्यमियों ये सुनिश्चित करें कि हमें कोई भी तकनीक को आयात करने से बचना चाहिए, आत्मनिर्भर अब बनना ही है।