रायपुर। RAIPUR NEWS : श्री पद्मप्रभ जिनालय लाभांडी में प्रथम तीर्थंकर आदि ब्रम्हा आदिनाथ भगवान की जन्म जयंती उत्साह से मनाई गई. सबसे पहले मंगलाष्टक का पाठ किया गया. उसके बाद अभिषेक विधि के मंत्रोचार के माध्यम से मूलनायक 1008 भगवान पद्मप्रभ, आदिनाथ, चन्द्रप्रभ का प्रक्षाल कर 1008 भगवान आदिनाथ को पांडुकशीला में विराजमान किया गया. आज के प्रथम कलश करने का सौभाग्य प्रदीप कुमार, ऋषभ कुमार बड़जात्या परिवार को प्राप्त हुआ. श्री पद्मप्रभ भक्त परिवार के सदस्य अरविंद जैन ने बताया कि श्री पद्मप्रभ जिनालय लाभांडी में आज चैत्र कृष्ण नवमी के पावन दिवस पर जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर आदि ब्रम्हा आदिनाथ की जन्म जयंती बड़े ही धूमधाम धार्मिक क्रियाओं व उत्साह के साथ मनाई गई। सर्वप्रथम जगत के प्राणिमात्र के मंगल की भावना के साथ मंगलाष्टक का पाठ किया गया।
इसके बाद उपस्थित सभी सदस्यों ने चतुर्थ कलश व स्टेमनोरथ कलश के माध्यम से आदिनाथ भगवान का मस्तकाभिषेक कर पुण्य संचय किया। आज की शांतिधारा का सौभाग्य कैलाश जैन रांची वालों को तथा रचित जैन शांतिनगर लाभांडी वालों को प्राप्त हुआ। श्री पद्मप्रभ भगवान की आरती के पश्चात आदिनाथ भगवान की आरती सम्पन्न हुई। पूजन विधि प्रारंभ कर नवदेवता की पूजा, मूलनायक भगवन पद्मप्रभ भगवान की पूजा के पश्चात, विवेक जैन के कुशल मार्ग दर्शन में भगवान आदिनाथ की पूजा प्रारम्भ हुई। जन्मकल्याणक के अर्घ्य तथा आज ही के दिन भगवान आदिनाथ का तप कल्याणक होने से दोनो कल्याणक का सभी उपस्थित श्रावक श्राविकाओं ने अर्घ्य समर्पित किया। इसके पश्चात भगवान की जन्म नगरी अयोध्या का भाव संजोकर सभी लोगों ने भगवान आदिनाथ के पिताश्री राजा नाभिराय व माताश्री मरु देवी को बधाई देने हेतु भक्ति नृत्य के साथ बधाई गीत गाया तथा बालक आदिनाथ को पालना में विराजमान कर झूला झुलाकर अपने पुण्य व प्रफुल्लित भावों का इजहार किया। उसके पश्चात प्राणिमात्र के जीवन मे पुण्य, सुख समृद्धि बढ़े व दुखों व पापों का नाश हो इस भावना से कष्टों को हरने वाले भक्तामर स्त्रोत के विधान में 48 स्त्रोतों पर अर्घ्य समर्पित कर जयमाला का पठन कर पूर्णाहुति द्वारा विधान सम्पन्न किया गया। अंत मे विसर्जन कर आज के धरती के भगवान संत शिरोमणि आचार्यश्री 108 विद्या सागर जी की आरती सम्पन्न करके आज का ये विशेष धार्मिक अनुष्ठान संपन्न हुआ।
अरविंद जैन ने बताया कि अजैन भाई लोग जैन धर्म के प्रवर्तक के रूप में भगवान महावीर स्वामी जी को ही मानते है जबकि वे अंतिम 24 वें तीर्थंकर है प्रथम तीर्थंकर भगवान आदिनाथ है। इन्होंने ही कल्पवृक्ष की समाप्ति के पश्चात असी, मसी, कृषि, वाणिज्य आदि के माध्यम से संसार को जीविकोपार्जन के लिये शिक्षा दी। इस वर्ष सकल जैन समाज रायपुर के द्वारा भगवान आदिनाथ जी की जयंती से भगवान महावीर जी की जयंती तक 21 दिनों का ये जन्मजयंती महोत्सव मनाया जाएगा, जिसका प्रारम्भ आज भगवान आदिनाथ जी की जयंती से हो गया है।