रायपुर। CG VIDHANSABHA : विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान गरियाबंद जिले में चना वितरण योजना में गड़बड़ी के आरोपों पर जमकर बहस हुई। कांग्रेस सदस्य अमितेश शुक्ल ने आरोप लगाया कि जिस चना को गुणवत्ताहीन पाए जाने पर गरियाबंद में रिजेक्ट किया गया था, उसे बाद में देवभोग में सप्लाई कर दिया गया। खाद्य मंत्री अमरजीत भगत ने गड़बड़ी से इंकार किया, लेकिन कांग्रेस सदस्य के जोर देने पर उन्होंने जांच कराने का भरोसा दिया।
प्रश्नकाल में अमितेश शुक्ल ने आरोप लगाया कि गरियाबंद में चने को गोदाम में रखा गया था। चना रिजेक्ट हो गया। बाद में उसे देवभोग में सप्लाई कर दिया गया। उन्होंने इस आशय की मीडिया में आई खबरों की तरफ खाद्य मंत्री का ध्यान आकृष्ट कराया।
खाद्य मंत्री ने कहा कि सोशल मीडिया, और किसी अखबार के प्रकाशित खबर चर्चा का आधार नहीं बन सकता है। उन्होंने कहा कि यदि कोई लिखित दस्तावेज हो, तो उसकी लिखित में जांच कराई जा सकती है। उन्होंने बताया कि खाद्य विभाग की टीम ने गरियाबंद में चना की गुणवत्ता की जांच की थी, और अमानक पाए जाने पर सप्लायर संजय ग्रेन प्रोडेक्ट्स लिमिटेड को वापस कर दिया गया।
कांग्रेस सदस्य ने पूछा कि यदि चना अमानक पाया गया था, तो उसी सप्लायर को बलौदाबाजार में ऑर्डर क्यों दिया गया? इस पूरे मामले में खाद्य मंत्री ने कहा कि सप्लाई के बाद गुणवत्ता का परीक्षण होता है। अमानक पाए जाने पर वापस किया जाता है, और गुणवत्तायुक्त होने पर ही सामग्री ली जाती है। अमितेश शुक्ल ने कहा कि गरियाबंद में जो चना सप्लाई हुआ था उसे अमानक मिलने के बाद भी देवभोग में सप्लाई कर दिया गया। इस पर खाद्य मंत्री ने कहा कि उन्हें लिखित में शिकायत दे दें, उसकी जांच कराई जाएगी।
नेता प्रतिपक्ष के एक पूरक सवाल के जवाब में खाद्य मंत्री ने माना कि गरियाबंद में चना प्रदाय करने वाली फर्म को तीन साल के लिए ब्लैक लिस्टेड किया गया था। 2018 में ब्लैक लिस्ट किया गया था, और फिर यह अवधि 2019 में खत्म हो गई।