नवरात्रि( navratri) के दूसरे दिन मां के दू स्वरूप मां ब्रह्मचारिणी की पूजा- अर्चना की जाती है। मां ब्रह्मचारिणी श्वेत वस्त्रों में दाएं हाथ में अष्टदल की माला और बाएं हाथ में कमंडल लिए सुशोभित रहती हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां ब्रह्माचारिणी की पूजा- अर्चना करने से सर्वसिद्धि प्राप्त होती हैं। मां ब्रह्मचारिणी को दूध या फिर उससे बने व्यंजन अति प्रिय होते हैं। यही वजह है कि उन्हें शक्कर ( sugar)और पंचामृत का भोग लगाया जाता है। माना जाता है कि ऐसा करने से व्यक्ति को लंबी आयु का वरदान मिलता है।
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पंचामृत का महत्व-
पंचामृत में पांच चीजों को शामिल किया जाता है, जिनका और धार्मिक दृष्टि से अपना एक खास महत्व है। धार्मिक दृष्टि से देखा जाए तो दूध शुद्ध और पवित्रता का प्रतिनिधित्व करता है। तो वहीं घी शक्ति और जीत के लिए है। शहद मधुमक्खियां पैदा करती है इसलिए ये समर्पण और एकाग्रता का प्रतीक है। चीनी मिठास और आंनद तो दही समृद्धि का प्रतीक मानी जाती है । बात अगर सेहत की करें तो इसका सेवन करने से व्यक्ति को अनेक तरह के लाभ भी मिलते हैं। आइए जानते हैं क्या है पंचामृत बनाने का सही तरीका
पंचामृत प्रसाद बनाने के लिए सामग्री-
-1/2 कप दूध
– 1/2 कप दही
– 1 टेबलस्पून शहद
– 1 टेबलस्पून चीनी
– 1 टीस्पून घी
– 1 पत्ता तुलसी का
पंचामृत प्रसाद बनाने की विधि-
– सबसे पहले एक बर्तन में दही डालकर अच्छे से फेंट लें।
• अब इसमें दूध, शहद, चीनी और घी मिलाएं। • तैयार है पंचामृत प्रसाद. इसमें तुलसी का एक पत्ता
– सबसे पहले मां ब्रह्मचारिणी को इसका भोग लगाकर बाद में घर के सभी लोगों के बीच बांट दें।