गरियाबंद : मुस्लिम समाज के पवित्र माह रमजान में रोजा रखने वालों पर अल्लाह की रहमत की बारिश होती है. माना जाता है कि रमजान के माह में अल्लाह हर एक नेकी के बदले कई गुणा नेकियों का सबाब अता फरमाते हैं. रमजान माह का पहला रोजा बड़ों के साथ साथ मासूम बच्चों ने भी रखा। यह इनकी ¨जदगी का भी यह पहला रोजा है। तपती धूप की परवाह किए बिना नन्हे मुन्ने बच्चों ने रोजा रखा। अल्लाह और उसके रसूल की रजा हासिल करने के लिए भूख और प्यास की शिद्दत बर्दाश्त की। शहर के गांधी मैदान में रहने वाले सात वर्षीय मोहम्मद उमर ने पहला रोजा रखा। उमर पिछले कई दिन से रमजानुल मुबारक के महीने का बेसब्री से इंतजार कर रहा था। रोजा रखने के साथ साथ मोहम्मद उमर ने अपने वालिद के साथ नमाज भी अदा की। खुदा की खुशनूदी हासिल करने के लिए भीषण गर्मी में भूख और प्यास को बर्दाश्त किया। उमर के पहला रोजा रखने पर घर में खुशी का माहौल रहा। बेटे के पहले रोजे पर घर में खास पकवान तैयार किए गए। मोहम्मद उमर ने खुदा और उसके रसूल की खुशी के लिए अपनी ¨जदगी का पहला रोजा रखा। इनके अलावा भी शहर में ऐसे अनेक बच्चे हैं, जिन्होंने जिंदगी का पहला रोजा रखा और दिनभर इबादत भी की। ये बच्चे नमाज पढ़ने के साथ ही कुरआन की तिलावत करते रहे। शाम को रोजा इफ्तार के दौरान अपने मनपसंद के लजीज खाने का मजा लिया। उमर के पिता अख़्तर ख़ान ने बताया कि मुस्लिम समुदाय में सबसे पवित्र रमजान का महीना चल रहा है. इस उम्र के बच्चें खाने-पीने और खेलकूद में व्यस्त रहते हैं लेकिन मेरे सात्त वर्षीय बेटे उमर ने आज रोज़ा रखने की ज़िद पकड़ ली मैं थोड़ा सा डर भी गया पर मेरे बच्चे की ज़िद ने रोजा रखकर नसीहत पेश की है.