कांकेर।कष्ठ कला के माध्यम से पूर्व माओवादियों के पुर्नवास में कार्य करने वाले अजय कुमार मंडावी को भी पद्मश्री से सम्मानित किया गया।अपनी काष्ठ कला से पथभ्रष्ट लोगों को मुख्य धारा में जोड़ने वाले कलाकार अजय कुमार मंडावी को काष्ठ कला से 350 नक्सलियों को जेल में अपराध से मुक्त करवाकर सामान्य जीवन जीने में मददगार साबित हुए ।
2005 से जेल में बंद कैदियों को काष्ठ कला सीखा रहे अजय मंडावी, कांकेर शहर के है निवासी, 400 से अधिक कैदियों को उन्होंने सिखाई काष्ठ कला, बनाया आत्म निर्भर, 5अप्रैल 2023 को पद्म श्री सम्मान । लकड़ी पर कलाकारी करते हुए इन्होंने बाइबल, भगवत गीता, राष्ट्रगीत, राष्ट्रगान, प्रसिद्ध कवियों की रचनाएं को उकेरने का काम किया। अजय कुमार का पूरा परिवार आज किसी न किसी कला से जुड़ा हुआ है। कहीं न कहीं उन्हें यह कला विरासत में मिली है।
कांकेर के जेल में 200 से अधिक बंदी आज काष्ठ कला में काफी हद तक पारंगत हो चुके हैं
बताया जाता है कि उनके पिता मिट्टी की मूर्तियां बनाने का काम करते थे जबकि उनकी मां सरोज मंडावी पेंटिंग का काम किया करती थीं। इतना ही नहीं उनके भाई विजय मंडावी एक अच्छे राजनेता व मंच संचालक भी हैं । कांकेर के जेल में 200 से अधिक बंदी आज काष्ठ कला में काफी हद तक पारंगत हो चुके हैं जो कि अजय कुमार मंडावी की मेहनत है। आज उस क्षेत्र के बंदी भी इस बात को मानते हैं कि यह कला नहीं बल्कि एक तपस्या है काष्ठ कला ने बंदी नक्सलियों के विचारों को पूरी तरीके से बदल कर रख दिया है ।
भारत सरकार द्वारा आम तौर पर सिर्फ भारतीय नागरिकों को दिया जाने वाला सम्मान
पद्मश्री, भारत सरकार द्वारा आम तौर पर सिर्फ भारतीय नागरिकों को दिया जाने वाला सम्मान है जो जीवन के विभिन्न क्षेत्रों जैसे कि, कला, शिक्षा, उद्योग, साहित्य, विज्ञान, खेल, चिकित्सा, समाज सेवा और सार्वजनिक जीवन आदि में उनके विशिष्ट योगदान को मान्यता प्रदान करने के लिए दिया जाता है।
खूंखार नक्सली चैतू कभी क्षेत्र क्षेत्र के जंगलों में आतंक बरपाया करता था
बताया जाता है कि कांकेर जिले में एक खूंखार नक्सली चैतू का उदाहरण लेकर कई बार ऐसा बताया जाता है कि जिले की जेल में बंद खूंखार नक्सली चैतू कभी क्षेत्र क्षेत्र के जंगलों में आतंक बरपाया करता था। उसने कई बेकसूर ग्रामीणों की हत्या भी की थी लेकिन 2016 में कोयलीबेड़ा के जंगल में उसे गिरफ्तार किया गया था।
काष्ठ शिल्प कला में गोंड जनजाति कला का समागम किया है
आज चेतू काष्ठ कला के लिए कई जगह सम्मानित हो चुका है।कांकेर जिले के अजय मंडावी ने काष्ठ शिल्प कला में गोंड जनजाति कला का समागम किया है। उन्होंने नक्सली क्षेत्र के प्रभावित और भटके हुए लोगों को काष्ठ शिल्प कला से जोड़ते हुए क्षेत्र के 350 से ज्यादा लोगों के जीवन में बदलाव लेकर आने के साथ-साथ लकड़ी की अद्भुत कला से युवाओं को जोड़ा है। समाज के मुख्य धारा से भटके युवाओ का हाथ से बंदूक छुड़ाकर छेनी हथौड़ा उठा कलाकार बनने के लिए प्रेरित करने जैसे कार्यों के लिए मंडावी को पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया गया है ।
पद्मश्री भारत का चौथा सबसे बड़ा नागरिक सम्मान
पद्मश्री भारत का चौथा सबसे बड़ा नागरिक सम्मान है। जबकि पद्म श्री किसी भी क्षेत्र में विशिष्ट योगदान वाले लोगों को दिया जाता है, पद्म भूषण उन लोगों को दिया जाता है जिनके पास उच्च क्रम का विशिष्ट योगदान होता है। पद्म विभूषण सबसे ऊंचा है और असाधारण विशिष्ट सेवाओं वाले लोगों को दिया जाता है। सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न है, जो 2019 के बाद से किसी एक व्यक्ति को नहीं दिया गया है