ईसाई धर्म के धार्मिक ग्रंथ बाइबल के अनुसार, मानव जाति के कल्याण के लिए प्रभु यीशु ने प्रेम, ज्ञान और अहिंसा का संदेश दिया. उन्हें यहूदी शासकों द्वारा कठोर शारीरिक और मानसिक यातनाएं भी दी गई और यीशु सूली पर चढ़ा दिया गया. मान्यता है कि जिस दिन प्रभु यीशू को सूली पर चढ़ावा गया उस दिन शुक्रवार था. इसलिए इस दिन को गुड फ्राइडे कहा गया.
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गुड फ्राइडे का इतिहास( history)
येरुशलम में धीरे-धीरे ईसा मसीह की लोकप्रियता बढ़ने लगी. लोग उनको ईश्वर का पुत्र कहते थे. वे लोगों को अच्छे कार्यों को करने के लिए प्रेरित करते थे और झूठ, अंधविश्वास, आडंबर, रुढ़िवादी सोच से बाहर आने को कहते थे. उनकी ये बातें धार्मिक कट्टरपंथियों को अच्छी नहीं लगती थीं.तब उन सबने ईसा मसीह के खिलाफ रोम के शासक से शिकायत करना शुरू कर दिया. उन सबने कहा कि ईसा मसीह खुद को ईश्वर का बेटा कहते हैं और ईश्वर का संदेश उन तक पहुंचाने की बातें करते हैं. ईसा मसीह को राजद्रोह के आरोप में मृत्युदंड की सजा सुनाई गई।
गुड फ्राइडे का महत्व( importance)
गुड फ्राइडे से पहले ईसाई धर्म के लोग पूरे 40 दिनों तक उपवास रखते हैं. वहीं कुछ लोग केवल गुड फ्राइडे के दिन भी उपवास रखते हैं. इसे ही लेंट कहा जाता है. गुड फ्राइडे के दिन चर्च की साज-सजावट की जाती है और विशेष प्रार्थना होती है. इस दिन लोग काले रंग के कपड़े पहनकर चर्च जाते हैं, शोक जताते हैं और यीशु से अपने गुनाहों की क्षमाप्रार्थना करते हैं. गुड फ्राइडे के बाद आने वाले रविवार के दिन ईस्टर मनाया जाता है.