दिल्ली। BIG NEWS : राष्ट्रीय राजधानी के निजी स्कूलों पर दिल्ली सरकार ने शिकंजा कसना शुरू कर दिया है. इसी क्रम में दिल्ली की शिक्षा मंत्री आतिशी ने खुले शब्दों में कहा कि किसी भी अभिभावक को महंगी किताब या ड्रेस खरीदने के लिए मजबूर किया गया तो स्कूल के खिलाफ कड़ा एक्शन होगा. आतिशी ने प्राइवेट स्कूलों को खास दुकान या वेंडर से किताब व ड्रेस खरीदने की परिपाटी से भी बाज आने का संदेश दिया।
उन्होंने इस संबंध में शिक्षा निदेशक को सख्त से सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए. कहा कि नियमों का उल्लंघन करने वालों को उन्हीं नियमों के तहत दंडित किया जाए. आतिशी ने अपने आदेश में कहा कि जो भी प्राइवेट स्कूल किताब और स्कूल ड्रेस के नाम पर पेरेंट्स से उगाही कर रहे हैं, या फिर उन्हें किसी खास वेंडर या दुकान से ही ये चीजें खरीदने के लिए मजबूर कर रहे हैं.
उनके खिलाफ तत्काल एक्शन होना चाहिए. इस एक्शन के तहत जरूरी हो तो स्कूल का लाइसेंस तक रद्द किया जा सकता है.
उन्होंने कहा कि बीते कुछ दिनों से इस संबंध में लगातार शिकायतें आ रही हैं. ज्यादातर शिकायतों में यही है कि स्कूल वाले खास दुकान या वेंडर से ही महंगी किताबें और स्कूल ड्रेस खरीदने को मजबूर कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि पिछले दिनों कई अभिभावकों ने उनसे मिलकर शिकायत दी थी. उन्होंने दिल्ली के एजुकेशन डायरेक्टर को जारी निर्देश में कहा कि पूरे दिल्ली में ऐसे स्कूलों को चिन्हित किया जाए, जो इस तरह का काम करते हैं.
इसके बाद इन स्कूलों को तत्काल नोटिस देकर आगे की कार्रवाई शुरू की जाए. उन्होंने बताया कि पिछले साल ही शिक्षा निदेशालय ने निजी स्कूलों के लिए गाइड लाइन्स जारी हुई थी. इसमें पेरेंट्स को स्वतंत्रता दी गई थी कि वह अपनी सुविधा के मुताबिक किसी भी दुकान से ड्रेस या किताबें खरीद सकते हैं. इसी के साथ व्यवस्था दी गई थी कि जो भी इस स्कूल इन गाइड लाइन के उल्लंघन में पकड़े जाते हैं तो उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए.
शिक्षा निदेशालय ने तय की है गाइडलाइन
बता दें कि पिछले साल शिक्षा निदेशालय की ओर से जारी गाइड लाइन्स में कहा गया है कि प्राइवेट स्कूलों को नए सेशन में इस्तेमाल में आने वाले किताब और स्टडी मटेरियल की क्लास के अनुसार सूची नियमानुसार स्कूल की वेबसाइट अपलोड करनी होगी. इससे पेरेंट्स आसानी से इसे देख सकेंगे.
इसके अलावा स्कूल को अपनी वेबसाइट पर स्कूल के नजदीक के कम से कम 5 दुकानों का पता और टेलीफोन नंबर भी शो करना होगा, जहां से ये किताबें और स्कूल ड्रेस खरीद जा सकें. इसके अलावा स्कूल पेरेंट्स को किसी भी खास विक्रेता से इन चीजों को खरीदने के लिए मजबूर नहीं कर सकता. इसके अलावा शिक्षा निदेशालय ने ये भी कहा था कि कोई भी प्राइवेट स्कूल कम से कम 3 साल तक स्कूल ड्रेस के रंग, डिज़ाइन और दूसरे स्पेसिफिकेशन को नहीं बदल सकता.