पश्चिम बंगाल के एक सरकारी अस्पताल में बड़ी लापरवाही का मामला सामने आया है। यहां डॉक्टरों ने एक नवजात का मृत्यु प्रमाणपत्र जारी कर दिया जबकि वह जीवित था। उसे दफनाने की तैयारी हो रही थी तभी पता चला कि बच्चे की सांस चल रही है। घटना पश्चिम मेदिनीपुर जिले के सरकारी घाटल सुपर स्पेशलिटी अस्पताल की है। जानकारी के मुताबिक प्रसव पीड़ा के बाद मोनालिसा खातून नाम की महिला को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उसने बच्चे को जन्म दिया तो डॉक्टरों ने कहा कि वह प्रीमैच्योर है। इसके बाद तीन घंटे बाद डॉक्टरों ने परिवार के लोगों का जानकारी दी कि उसकी मौत हो गई है।
परिवार के लोग जब दफनाने के लिए गए तो पता चला कि उसकी सांस चल रही है। वे तुरंत फिर से बच्चे को लेकर घाटल सुपर स्पेशलिटी अस्पताल पहुंचे लेकिन थोड़ी देर बाद बच्चे की मौत हो गई। परिवार के लोगों का कहना है कि अगर बच्चे का इलाज किया जाता तो उसकी जान बच सकती थी। बच्चे कि पिता ने कहा कि बच्चे की मौत नहीं हुई बल्कि उसकी ‘हत्या’ कर दी गई है। अस्पताल की लापरवाही के चलते उसकी जान चली गई।
परिवार और ग्रामीणों में रोष
दुखी परिजन ने बताया कि बच्चे को जब वापस अस्पताल लाया गया तो उसका इलाज आईसीयू वॉर्ड में शुरू किया गया। रविवार सुबह उसकी मौत हो गई। घटना के बाद पीड़ित परिवार और गांव के लोगों में रोष है। परिवार का कहना है कि बच्चे को कई घंटे तक अटेंड नहीं किया गया जिसकी वजह से उसकी हालत बिगड़ गई। अस्पताल में ही उचित इलाज देने से उसकी जान बच सकती थी।
जांच के लिए टीम गठित
परिवार का कहना है कि इस मामले में वह मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को जनकारी देंगे। उनका कहना है कि डॉक्टरों की इस लापरवाही की सजा दी जानी चाहिए। घटना का पता चलने के बाद जिलाधिकारी ने भी अस्पताल के सीएमओ से मुलाकात की। रिपोर्ट्स के मुताबिक घटना की जांच के लिए तीन सदस्यीय टीम बनाई गई है। परिवार को आश्वासन दिया गया है कि लापरवाही के लिए जिम्मेदार लोगों को बख्शा नहीं जाएगा।