छुरा। CG NEWS : गरियाबंद में एक डेढ़ साल का मासूम खेलते खेलते गहरे कुएं में जा गिरा मगर बुआ के साहस के चलते मासूम की जान बच गई। बुआ ने अपनी जान की परवाह ना करते हुए तत्काल कुएं में छलांग लगा दी किंतु तब तक बच्चे के पेट में पानी भर चुका था और सांस लगभग बंद हो रही थी। इसके बाद बच्चे के पेट में भरा पानी दबाकर निकाला और बच्चे को उल्टा कर बच्चे को मुंह से कृत्रिम सांस दी तब जाकर बच्चे की धड़कन पुनः चालू हुई । घटना ग्राम केरगांव की है हालांकि बच्चे की हालत अभी भी पूरी तरह ठीक नहीं हुई है जिसे देखते हुए जिला चिकित्सालय से उसे रायपुर रेफर किया गया है।
वहीं कुमारी गायत्री के कुँए में कूदने से उसके पैर फैक्चर हो गए, जिसका इलाज गरियाबंद जिला अस्पताल में चल रहा है। बच्चे के दादा गोपीराम को विडिओ काल के माध्यम से बच्चे के पिता से बात कराते हुए बच्चे को दिखाया गया, तब जाकर बच्चे के दादा ने संतुष्टि जाहिर की।
एक विडम्बना ये भी है कि ये आदिवासी परिवार आज भी कुएं के पानी से गुजारा करने मजबूर है, नलजल जैसे सरकार के योजना यहां पिछले छः महीने से लगा तो है इनके घर भी नल कनेक्शन लगा तो है पर अब तक शो पीस ही है शुरू नहीं हो पाया है अगर नलजल शुरू हो जाता तो कुएं को बंद कर देते उनका उपयोग ही नहीं करते।
आदिवासी व विशेष पिछड़ी जनजाति के बाहुल्य ग्राम केरगांव के पारा घोठियादादर चौदह घरों का है जहां इस 25 वर्षीय आदिवासी बच्ची ने अपनी बहादुरी का परिचय देते हुए अपने ही भाई के बच्चे को जान की बाजी लगाकर बच्चे की जान बचाई। जिसे प्रशासन और सरकार को इन्हें सम्मानित करना चाहिए, जिससे ऐसे आदिवासियों बच्चियों में हिम्मत और हौसले से अन्य लोगों को सीख मिले।